लाल किला गुलामी से आजादी तक का सफर | Red Fort Journey from slavery to freedom 1947 in Hindi !

लाल किला गुलामी से आजादी तक का सफर | Red Fort Journey from slavery to freedom in Hindi…………….

सन् 1947 ई0 में भारत आजाद हुआ था। उस समय भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू जी ने भारत 15 अगस्त 1947 को भारत के लाल किले (Red Fort) से भारत का प्रथम स्वतंत्रता दिवस मनाया था।

हम इस लेख के माध्यम से यह जानने या बताने का कोशिश करेंगें कि भारत का Red Fort का निर्मण से लेकर गुलामी से आजादी तक सफर में क्या-क्या मुख्य बाते रही है।

भारत के आजादी का क्रेन्द्र बिन्दु रहा है लाल किला | Red Fort has been the focal point of India’s independence :

प्रत्येक 15 अगस्त को भारत देश के प्रधानमंत्री Red Fort से देश की जनता को संबोधित करते है। सुरक्षा करणों से आम लोगों का Red Fort में प्रवेश बन्द हो चुका है। आजादी पर्व समाप्त हो जाने के बाद पुनः आम जन मानस के लिए इसे खोल दिया जाता है।

भारत में लाल किले से 15 अगस्त को झंडा फहराने की परम्परा सन् 1947 से प्रारम्भ हुई है। तब से लेकर अब तक प्रत्येक 15 अगस्त को भारत के प्रधानमंत्री जी Red Fort पर झंडा फहराते है।

दिल्ली का लाल किला किसने बनवाया था [Who built the Red Fort of Delhi] ?

सन् 1638 से सन् 1649 ई0 के बीच भारत के पांचवें मुगल शासन शांहजहां ने भारत के दिल्ली सहर में स्थित लाला किले  (Red Fort) का निर्मण कराया गया था।

मुगल साम्राज्य की राजनीति और सांस्कृतिक भव्यता दिखाता यह लाल रंग के बलुआ पत्थर से बनाया गया है।

तब इसे मुगलों की नई राजधानी शाहजहांनाबाद के महल के तौर पर तैयार किया गया था। Red Fort  कुल 254.67 एकड़ में फैला हुआ है। इसके निर्माण में कुल आठ साल दस महीने व 25 दिन का समय लगा था।

इसमें छह दरवाजों वाले इस किल को एक साथ तीन हजार लोगों के रहने के लिए तैयार किया गया था। तख्त-ए-ताऊस में जड़ा कोहिनूर हीरा इसकी शान माना जाता था।

 लाल किला
लाल किला

लाल किला (Red Fort) कहां पर है ?

भारत के दिल्ली सहर में स्थित Red Fort है, तब इसे मुगलों की नई राजधानी शाहजहांनाबाद के महल के तैर पर जाना जाता था।

लाल किला कितने एकड़ में बना है ?

Red Fort कुल 254.67 एकड़ में फैला हुआ है।

26 जनवरी को लाल किला पर झंडा कौन फहराता है ?

प्रत्येक 15 अगस्त को भारत देश के प्रधानमंत्री लाल किले से देश की जनता को संबोधित, झंड़ा फहराते है।

लाल किला पर हमले [ Attack on Red Fort] :

सन् 1739 ई0 में ईराना का शासक या ईरानी आक्रांता नादिर शाह ने भारत के दिल्ली पर हमला किया। तत्कालीन मुगल शासक मुहम्मद शाह आलम को हराकर मयूर सिंहासन जो कभी लाल किले का शान होता था, और कोहिनूर हीरा अपने साथ ले गया।

18वीं सदी के मध्य से आखिरी तक मराठा, सिख, जाट, गुर्जर, रोहिल्ला और अफगानिस्तान शासकों के हमले जारी रहें। अंत में करीब भारत में दो दशक तक राज करने वाले अंग्रेजों का देश पर हमले लुट छेलता रहा है।

सन् 1857 का विद्रोह या उसके बाद का समय [Revolt of 1857 or later] :

सन् 1803 के बाद ही लाल किला अंग्रेजों की नजर में दिल्ली चुभने लगी। वे लाल किला पर यूनियन जैक फहराने के लिए बेताब हो उठे। इसी बीच अंग्रेजी शासन के खिलाफ सन् 1857 में बगावत प्रारम्भ हुई।

तत्कालित मुगल बादशाह बहादुरशाह जफर ने इसका नेतृत्व किया था। ब्रिटिश सेना ने बहादुर शाह जफर को लाल किले में कैद कर लिया व सन् 7 अक्टूबर, 1858 ई0 को बहादूर जफर को रंगून निर्वासित कर दिया गया।

सन् 1857 ई0 के प्रथम स्वतंत्राता के बाद ब्रिटिश अफसरों ने लाल किले को नश्ट करना प्रारम्भ कर दिया था। जिसके द्वारा अफसरों ने रंग महल का बगीचा, राॅयल स्टोर रूम, किचन को अस्पताल, बंगले, प्रशासनिक भवन में बदल दिया गया।

सन् 1911 ई0 में जब भारत की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित किया गया। ज्यादातर इतिहासकारों का कहना है कि राजधानी बदलने का मुख्य उद्देश्य भारत के उत्तरी भारतियों को ब्रिटिश भारत का एक हिस्सा बनाना था।

भारत के आजादी का प्रतीक या स्वतंत्रता का प्रतीक बनने की इतिहास [History of India becoming a symbol of independence or a symbol of independence] :

समय अपने गति से चलना चला गया, भारत के दिल्ली सहर में स्थिति लाल किला का नाम समय के साथ बदलता गया जौसे कि लाल किले को कभी किला-ए-मुबारक, किला-ए-शाहजहांनाबाद और समय के साथ कभी किला-ए-मौला के नाम से भी जाना गया।

आज लाल किला अपनी अधीनता, पराधीनता व स्वतंत्रता का दास्तां बयां कर रहा है। यह भारत के उन चुने हेए स्थानों में से एक है जो अपने समय का दास्तां बयां कर रहा है।

सन् 1947 ई0 में जब भारत देश आजाद हुआ तो भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जी ने 15 अगस्त 1947 को लाल किले के लाहौरी गेट पर पहली बार भारतीय राष्टीय ध्वज फहराया था।

ये वह समय था जिसने अतीत से निकलकर एक स्वतंत्र देश की भविष्य की ओर कदम रखा था।

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Ram Pal Singh

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