भारत में मूल अधिकारों का सर्वप्रथम मांग संविधान विधेयक द्वारा सन् 1895 ई0 में किया गया था। उनके बाद कांग्रेस द्वारा सन् 1917-19 ई0 के मध्य किया गया।
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श्रीमती एनी बेसेण्ट की पुस्तक कॉमनवेल्थ ऑफ इंडिया बिल के माध्यम से सन् 1925 ई0 में किया गया। सन् 1927 ई0कांग्रेस के मद्रास अधिवेशन में अधिकारिक तैर पर मूल अधिकारों की मांगी की गयी।
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मोती लाल नेहरू जी द्वारा प्रस्तुत की गयी नेहरू रिपोर्ट सन् 1928 ई0 में भी मूल अधिकारों की मांगी की गयी है। फिर सन् 1930 ई0 में कांग्रेस के करांची अधिवेशन में भी पुनः मूल अधिकारों की मांगी की गयी है।
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सन् 1931 ई0 में द्वितीय गोल मेज सम्मेलन के दौरान महात्मा गांधी जी द्वारा मूल अधिकारों की मांग की गयी जिसे सन् 1934 ई0 में ब्रिटेन सरकार की संयुक्त संसदीय समिति द्वारा अस्वीकार कर दिया गया।
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संविधान सभा द्वारा नवम्बर, 1946 ई0 में संविधान सभा की मांग की गयी है। जिसके तहत एक समिति की स्थापना किया गया।
जिसे मूल अधिकार तथा अल्पसंख्यक अधिकार समिति के नाम से जाना गया। जिसके अध्यक्ष बल्लभ भाई पटेल थे। मूल अधिकार तथा अल्पसंख्यक अधिकार समिति की एक उपसमिति जीवटराम भगवानादास कृपलानी अर्थात जे.बी. कृपलानी की देख-रेख में किया गया था।