उदाहरण-प्रतिदिन = प्रति + दिन
आजन्म =आ + जन्म
हाथोहाथ = हाथ + हाथ
जिस समास का पहला पद अवयय या प्रधान होता है, अव्यीभाव समास कहते है।
2. तत्तपुरूष समास
जिस समास में बाद का पद अर्थात उत्तर पद प्रधानहोता है। उसे तत्तपुरूष समास कहते है। मुख्यतः तत्तपुररूष समास में 07 प्रकार के कारक होते है। जो निम्नवत् हैः
1. कर्ता = ने2. कर्म = को3. करण = से4. सम्प्रदान = के लिए5. अपादन = से (अलग होने वाला)6. सम्बन्ध = का, के, की7. अधिकरण = में ,पर, हो
उदाहरण – गगन चुंबी – गगन को चूमने वाला – कर्म तत्यपुरूष समास।
सूर रचित – सूर के द्वारा रचित -करण तत्यपुरूष
प्रयोगशाला = प्रयोग के लिए शाला = सम्प्रदान तत्यपुररूष समास।
धनहीन = धन से हीन = अपादान तत्पुरूष समास।
राजपुरत्र = राजा का पुत्र
सम्बन्ध = तत्पुरूष समास।
पुरूषोत्तम = पुरूषों में उत्तम
अधिकरण = तत्पुरूष समास।
3. कर्मधारण समास :
जिस भी पद का उत्तर पद की प्रधान होता हैं उसे कर्मधारण समास कहते है।पहचान :के समान, है जो,उदाहरण :चरण कमल = कमल के समान है चरण।
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4. द्विगु समास :
जिस पद का पूर्व पद संख्यावाचक हो द्विगु समास कहते है। or पूर्व पद संख्यावाचक या समूल का बोध कराता है।
उदाहरण :
दोपहर = दो पहरों का समूह।
चैराहा = चार रास्ते का समूह।
5. द्वंद समास :
जिस पद में दोनों पद प्रधान हो, तथा समास विग्रह करने पर और, अथवा, या, एंव, तथा का प्रयोग हो या – Hyphen sine लगा हो उस समास को द्वंद समास कहते है।
उदाहरण :
माता-पिता = माता और पिता।
6. बहुब्रीही समास:
जिस समास में कोई भी पद की प्रधानता न हो आर्थात जिस पद में कोई भी पद प्रधान नहीं होता है और उसका अर्थ कुछ ओर ही आता है। उसे बहुब्रीही समास कहते है।
उदाहरण :
लम्बोदर = लम्बा है उदर जिसका अर्थात गणेश जी।