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जिन वर्ण का उच्चारण स्वरों की सहायता के साथ नहीं किया जा सकता है। उन वर्ण को व्यंजन वर्ण कहा जाता है। अर्थात व्यंजन वे ध्वनियाॅ होती है, जिनका उच्चारण स्वरों की सहायता के बिना नहीं किया जा सकता है।
1. वर्गीय/स्पर्श व्यंजन जिनकी संख्या कुल 25 होती है। 2. अन्तःस्थ व्यंजन जिनकी संख्या कुल 04 होती है। 3. ऊष्म व्यंजन जिनकी संख्या कुल 04 होती है।
संयुक्त व्यंजन हिन्दी भाषा में 04 प्रकार के होते है। जिनका निमार्ण दो व्यंजनों के योग से होता है। जो निम्नवत् है: 1. क्ष = क् + ष। 2. त्र = त् + र। 3. ज्ञ = ज् + ञ। 4. श्र = श् + र।
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