Hindi varnmala swar aur vyanjan | हिंदी वर्णमाला स्वर और व्यंजन | हिंदी वर्णमाला में स्वरों व व्यंजन की संख्या कितनी है? |

दोस्तों हिन्दी भाषा के हिन्दी वर्णमाला स्वर और व्यंजन (Hindi varnmala swar aur vyanjan), हिन्दी वर्णमाला में स्वरोंव्यंजनों की संख्या कितनी है? हिन्दी भाषा के वर्ण, शब्द, वाक्य, भाषा क्या होते है? हिन्दी में वर्ण व वर्णमाला में क्या अन्तर व परिभाषा होता है। सभी प्रकार के प्रश्नों को इस लेख के माध्यम से विस्तार से जानेंगे!

दोस्तों हिन्दी भाषा के इस भाग से प्रायः प्रत्येक परीक्षाओं में 02 04 नम्बर के प्रश्न आते ही है। यह लेख मुख्य रूप से छात्रों को ध्यान में रख कर लिखा गया है। जिसका उद्देश्य सरल भाषा में आपको बताना व समझाना है।

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4) हिंदी वर्णमाला स्वर और व्यंजन (Hindi varnmala swar aur vyanjan) :

 

हिन्दी वर्णमाला का इतिहास :

हिन्दी भाषा की व्याकरणिक संरचना में ध्वनि संरचना आरंभिक बिन्दु होता है। प्रायः ध्वनि के आधार पर ही अनन्त साहित्य का निर्माण हुआ या होता है।

जब यही ध्वनि दृश्य रूप में अंकित होता है तो इसे वर्ण कहा जाता है और जब वर्ण को एक व्यवस्थित समूह में अंकित किया जाता है तो इसे वर्णमाला कहते है।

उदाहरण :-  के तहत देखा जाएं तो परिवार शब्द में प् + अ + र् + इ + व् + आ + र् + अ वर्ण से मिलकर बना हुआ है। जिसमें 4 स्वर यथा अ, ई, आ व अ और 04 व्यंजन यथा प्, र्, व् र् है।

शब्द, रूप, वाक्य, अर्थ व ध्वनि भाषा के पाँच अंग है। भाषा शब्द की व्युत्पत्ति संस्कृत के भाष् नामक धातु से हुई है। जिसका अर्थ वाणी होता है। हिन्दी की आदि जननी संस्कृत है।

 

हिन्दी भाषा का विकास क्रम संस्कृत, पाली, प्राकृत, अपभ्रंश-अवहट्ट-प्राचीन और प्रारम्भिक हिन्दी के रूप में हुआ है।

 

हिन्दी भाषा की उत्पत्ति, विकास व विशेषताएँ :-

आप यह जानते है कि ऋग्वेद मे सिन्ध शब्द नदी के लिए बोला जाता था। जब फारसी भाषी सिन्धु घाटी के निवासियों के सम्पर्क में आये तब वे सिन्धु शब्द को हिन्दू और सिन्धी शब्द को हिन्दी कहने लगे।

जो लगभग 13-14 वीं शताब्दी के पूर्ण के समय हिन्दी शब्द का प्रयोग भारत देश या भारतवासियों के लिए होने लगा व उनके बाद हिन्दी को भाषा के रूप में जाना जाने लगा।

 

हिन्दी भाषा की विशेषताएँ :-

हिन्दी भाषा की विशेषताएँ निम्नवत् है –

  1. भाषा का सम्बन्ध मनुष्य से है।
  2. भाषा परिवर्तनशील है।
  3. भाषा ध्वनिमय है।
  4. भाषा परिवर्तनशील होता है।
  5. भाषा कठिनता से सरलता की ओर चलती है।
  6. भाषा की क्षेत्रीय सीमा होती है।
  7. भाषा पैतृक सम्पति नहीं है।
  8. समाज के विकास एवं पतन के साथ ही भाषा का विकास एवं पतन होता है।
  9. भाषा अर्जित सम्पत्ति होती है।
  10. भाषा का कोई अन्तिम रूप या स्वरूप नहीं होता है।

 

हिंदी वर्णमाला स्वर और व्यंजन (Hindi varnmala swar aur vyanjan) :

जैसा की आप जानते है कि ध्वनी का प्राथमिक लिखित रूवरूप को वर्ण के नाम से जाना जाता है। वर्णों के सुव्यवस्थित समूह को वर्णमाला कहा जाता है। वर्णमाला को दो भागों में बाटां गया है।

  1. स्वर।
  2. व्यंजन।

हिन्दी भाषा में कुल 52 वर्ण होते है। जिसमें से 11 स्वर, 41 व्यंजन होते है।

 

वर्ण किसी कहते है ? (Varnmala in Hindi)

ध्वनी के प्राथमिक लिखित स्वरूप को वर्ण कहा जाता है। या वर्ण वह छोटी से छोटी ध्वनि होती है जो कानों द्वारा सुनी जाती है। वर्ण का दूसरा नाम अक्षर होता है।

 

हिंदी वर्णमाला में वर्णों की संख्या कितनी होती है या वर्णमाला कितने होते हैं?

हिन्दी भाषा में कुल 52 वर्ण होते है। जिसमें से 11 स्वर, 41 व्यंजन होते है। इनमें 11 मूल स्वर वर्ण (ऋ का उच्चारण अब स्वर जैसा नहीं होता है।) 33 मूल व्यंजन, 2 उत्क्षिप्त व्यंजन, 4 संयुक्त व्यंजन व 2 अयोगवाह व्यंजन होते है।

  1. मूल स्वर की संख्या कुल 11 है।
  2. मूल व्यंजन की संख्या कुल 33 है।
  3. उत्क्षिप्त व्यंजन की संख्या कुल 2 है।
  4. संयुक्ताक्षर व्यंजन की संख्या कुल 4 है।
  5. अयोगवाह व्यंजन की संख्या कुल 2 है।

हिन्दी वर्णमाला की वर्ण की संख्या संख्या 11 + 33  + 2 + 4 + 2 = 52 है।

 

अक्षर किसी कहते है ?

वर्ण के दूसरा नाम अक्षर होता है। जिसका क्षर न हो उसे अक्षर कहते है।

 

शब्द किसी कहते है ?

वर्ण का सार्थक समूहों को शब्द कहते है।

 

वाक्य किसे कहते है ?

सार्थक शब्दों का क्रम बद्ध समूहों को वाक्य कहा जाता है।

 

भाषा किसे कहते है ?

ध्वनी प्रतिकों की ऐसी व्यवस्था जिसके द्वारा व्यक्ति भावों और विचारों को व्यक्त करता है उसे भाषा के रूप में जाना जाता है।

 

वर्णमाला किसे कहते हैं?

वर्णों के सुव्यवस्थित समूह को वर्णमाला कहा जाता है।

 

हिंदी वर्णमाला को कितने भागों में बांटा गया है?

वर्णमाला को दो भागों में बाटां गया है।

  1. स्वर।
  2. व्यंजन।

 

स्वर वर्ण क्या है ?

स्वर वर्ण वे ध्वनियाँ होती है, जिनका उच्चारण बिना किसी अन्य ध्वनि की सहायता के होती है। अर्थात उच्चारण करते समय जब बिना किसी अन्य ध्वनी की सहायता से किया जाता है तो उसे स्वर कहते है। यह तीन प्रकार के होते है।

  1. ह्स्व स्वर।
  2. दीर्घ स्वर।
  3. संयुक्त स्वर।

 

Hindi varnmala swar aur vyanjan

 

1- ह्स्व स्वर।

ह्स्व स्वर को मूल स्वर के नाम से भी जाना जाता है। यह मुख्य रूप से 04 प्रकार के होते है।

  1. अ।
  2. इ।
  3. उ।
  4. ऋ।


2- दीर्घ स्वर।

जब दो मूल स्वर मिलते है तो वे दीर्घ स्वर का निमार्ण करते है। अर्थात दीर्घ स्वर मूल स्वरों के संयोग से बने होते है या दो समान मूल स्वरों के योग से बनने वाले स्वर को दीर्घ स्वर कहते है। यह तीन प्रकार के होते है।

  1. आ = अ + अ।
  2. ई = इ + इ।
  3. ऊ = उ = उ।
  4. ऋृ = ऋ + ऋ।

 

3- संयुक्त स्वर:

दो असमान मूल स्वरों के योग से बने हुए स्वर को संयुक्त स्वर कहते है। इनकी संख्या 04 होते है।

  1. ए  = अ + इ।
  2. ऐ  = अ + ए।
  3. ओ  = अ + उ।
  4. औ  = अ + औ।

 

हिंदी वर्णमाला में स्वरों की संख्या कितनी है ?

हिन्दी भाषा में कुल 52 वर्ण होते है। जिसमें से 11 स्वर, 41 व्यंजन होते है।

 

स्वरों का उच्चारण :

स्वरों का उच्चारण अ व आ कण्ठ्य (कण्ठ के प्रयोग से) द्वारा, इ व ई का उच्चारण तालव्य द्वारा ऋ का उच्चारण मूर्द्धन्य द्वारा, उ व ऊ का उच्चारण ओष्ठ्य द्वारा, ए व ऐ का उच्चारण कण्ठतालाव्य द्वारा एवं ओ व औ का उच्चारण कष्ठोष्ठ्य द्वारा किया जाता है।

 

Hindi varnmala swar aur vyanjan

 

उच्चारण काल के आधार पर स्वरों को ह्स्व स्वर, दीर्घ स्वर एवं प्लुत स्वर में बांटा गया है। जिसमें ह्स्व स्वर में उच्चारण में सबसे कल समय,

दीर्घ स्वर में उच्चारण ह्स्व स्वर की अपेक्षा दुगुना समय तथा प्लुत स्वर के उच्चारण में हस्व स्वर की अपेक्षा तीन गुना का समय लगता है।

 

व्यंजन वर्ण क्या है?

जिन वर्ण का उच्चारण स्वरों की सहायता के साथ नहीं किया जा सकता है। उन वर्ण को व्यंजन वर्ण कहा जाता है। अर्थात व्यंजन वे ध्वनियाॅ होती है, जिनका उच्चारण स्वरों की सहायता के बिना नहीं किया जा सकता है। व्यंजन को मुख्यतः 03 भागों में बाटा गया है।

 

1. मूल व्यंजन :

मूल व्यंजन की कुल संख्या 33 होती है। जिसमें 25 वर्गीय/स्पर्श , 04 अन्तःस्थ व्यंजन व 04 ऊष्म व्यंजन होते है। अर्थात हम यह कह सकते है कि मूल व्यंजन को भी 03 भागों में बाटां गया है।

Hindi varnmala swar aur vyanjan
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  1. वर्गीय/स्पर्श व्यंजन जिनकी संख्या कुल 25 होती है।
  2. अन्तःस्थ व्यंजन जिनकी संख्या कुल 04 होती है।
  3. ऊष्म व्यंजन जिनकी संख्या कुल 04 होती है।
Hindi varnmala swar aur vyanjan
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2. संयुक्त व्यंजन :

संयुक्त व्यंजन हिन्दी भाषा में 04 प्रकार के होते है। जिनका निमार्ण दो व्यंजनों के योग से होता है। जो निम्नवत् है:

  1. क्ष = क् + ष।
  2. त्र = त् + र।
  3. ज्ञ = ज् + ञ।
  4. श्र = श् + र।

 

3. उत्क्षिप्त व्यंजन :

उत्क्षिप्त व्यंजन की संख्या 02 यथा ड़ व ढ़ है। जिनका विकास अपभ्रंश में हुआ है।

 

व्यंजन का उच्चारण :

व्यंजनों के उच्चारण स्थान में भी विविधता है। जैसे क वर्ग कण्ठ द्वारा, च वर्ग तालु द्वारा, ट वर्ग मूद्र्धा द्वारा, त वर्ग दन्त द्वारा, प वर्ग ओष्ठ द्वारा, अन्तःस्थ व्यंजन में य तालव्य द्वारा, र मूर्द्धन्य द्वारा, ल दन्त्य द्वारा एवं व दन्तोष्ठ्य द्वारा एवं ऊष्म व्यंजनों यथा श तालव्य द्वारा, ष मूर्द्धन्य द्वारा, स दन्त्य द्वारा एवं ह कण्ठ्य द्वारा किया जाता है।

Hindi varnmala swar aur vyanjan
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हिंदी वर्णमाला में व्यंजनों की संख्या कितनी है?

हिन्दी वर्णमाला में कुल 41 व्यंजन है, जिसमें 33 व्यंजन मूल व्यंजन, 02 उत्क्षिप्त व्यंजन, 04 संयुक्ताक्षर व्यंजन एवं 02 अयोगवाह व्यंजन होते है।

Q. य, र, ल एवं व व्यंजन को कहते है ?

A. अन्तःस्थ व्यंजन कहते है।

Q. हिन्दी के जिन वर्णों का उच्चारण करते समय केवल श्वास का प्रयोग किया जाए उन वर्णों को कहते है ?

A. अघोष वर्ण।

Q. हिन्दी वर्णमाला मे ऊष्म व्यंजन कौन-कौन से है ?

A. श, ष, स, ह, केवल 04 व्यंजन ऊष्म व्यंजन के नाम से जाने जाते है।

Q. क्ष वर्ण किसके योग से बना हुआ है ?

A. क्ष वर्ण क् + ष के योग से बना हुआ है।

Q. किन ध्वनियों को अनुस्वार कहा जाता है ?

A. स्वर के बाद आने वाले नासिक ध्वनियाॅ को।

Q. वर्णमाला किसी कहते है ?

A. वर्णों के व्यवस्थित समूह को वर्णमाला कहते है।

Q. भाषा की सबसे छोटी ईकाई कौन सी है ?

A. वर्ण।

Q. हिन्दी वर्णमाला में व्यंजन की संख्या कितनी होती है ?

A. नोट- अगर उत्तर में 41 नही है तो इसका उत्तर 33 होगा। लेकिन अगर 41 है तो इसका उत्तर 41 होगा।

Q. हिन्दी वर्णमाला में स्वरों की संख्या कितनी है ?

A. 11 है।

Q. हिन्दी वर्णमाला में वर्ण की संख्या कितनी है ?

A. 52 है।

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Ram Pal Singh

Hello, My name is Ram Pal Singh Yadav. I am founder of The Hindi Blogger.in Through this blog, we will provide articles and blogs related to education, sports and technology in Hindi.

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