सामाजिक सुधार अधिनियम (Saamaajik Sudhaar Adhiniyam) कौन-कौन से हैं ?

सामाजिक सुधार अधिनियम (Saamaajik Sudhaar Adhiniyam) भारत देश के सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करने हेतु प्राचीनकाल से अनके लोगों द्वारा आवाज उठाई गयी एवं प्रतिबंध लगाने का प्रयास किया गया।

जिसका सबसे ज्यादा सख्ती से लागू ब्रिटिश काल में हुआ था। इन सामाजिक कुरीतियों में सती प्रथा, दास प्रथा, कन्यावध, बालविवह व शिशु वध आदि प्रमुख थे।

 

सामाजिक सुधान अधिनियम की सूची (List of Saamaajik Sudhaar Adhiniyam) :

 

हम इस ब्लाॅग के माध्यम से भारत के विविभन्न प्रकार के सामिजक कुरीतियों व किनके द्वारा इसे समाप्त किया गया इस बारे में जानेंगें। जिसकी सूची निम्नवत् है:-

  1. शिशु वध प्रतिबंध।
  2. सती प्रथा पर प्रतिबंध।
  3. दास प्रथा पर प्रतिबंध।
  4. विधवा पुनर्विवाह अधिनियम।
  5. सिविल मैरिज एक्ट।
  6. सम्मति आयु अधिनियम।
  7. शारदा अधिनियम।
  8. हिन्दू महिला सम्पत्ति अधिनियम।

 

01. शिशु वध प्रतिबंध :


सन् 1795 ई0 तत्कालित वायसराय/गवर्नर जनरल सर जाॅन शोरसन् 1804 ई0 में लाॅर्ड वेलेजली के प्रयासों से भारत में शिशु वध पर प्रतिबंध स्थापित हुआ। इसके बाद भारत में शिशु हत्या को साधारण हत्या माना जाने लागा।

 

02. सती प्रथा प्रतिबंध :


भारत में सती प्रथा पूर्ण प्रतिबंध सन् 1829 ई0 में लाॅर्ड विलियम बेंटिक के द्वारा किया गया। जिसके बाद से भारत में सती प्रथा को पूर्ण रूप से बन्द दिया गया।

 

03. दास प्रथा पर प्रतिबंध :


सन् 1843 ई0 में वायसराय लॉर्ड एलनबरो द्वारा भारत में दासता को प्रतिबंधित कर दिया गया।


04. विधवा पुनर्विवाह अधिनियम :


सन् 1856 ई0 में लॉर्ड कैनिंग द्वारा भारत में विधवा को पुनर्विवाह की अनुमति प्रदान की गयी। जिसके तहत भारत भारत में विधवा को विवार का अधिकार प्राप्त हुआ।


05 सिविल मैरिज एक्ट :


यह अधिनियम सन् 1827 ई0 में लॉर्ड नॉर्थब्रुक द्वारा लाया गया था। इसके तहत भारत में लड़कियों के विवाह का आयु निर्धारित कर दिया गया। जिसे बाल विवाह प्रतिबंधित अधिनियम के नाम से भी जाना जाता है।

Saamaajik Sudhaar Adhiniyam
Saamaajik Sudhaar Adhiniyam

 

इस अधिनियम के तहत लड़कियों के विवाह की निम्नतम आयु 14 वर्ष और लड़कों की 18 वर्ष निर्धारित कर दिया गया।

सम्मति आयु अधिनियम :


इस अधिनियम को लॉड लैंसडाउन द्वारा सन् 1891 ई0 में लाया गया था, जिसके तहत लड़की के लिये विवाह योग्य आयु 12 वर्ष निर्धारित की गई थी।


शारदा अधिनियम :


लॉर्ड इरविन द्वारा सन् 1929 ई0 में प्रस्तुत किया गया था। जो लड़को व लड़कियों के विवाह योग्य आयु से सम्बन्धित है।

 

हिन्दु महिला सम्पत्ति :


इस अधिनियम को भारत में सन् 1937 ई0 में लॉर्ड लिनलिथगों द्वारा लाया गया था। जिसके तहत भारत में महिलाओं को सम्पत्ति का अधिकार दिया गया था।

 

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Ram Pal Singh

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