जैसे कि आप जानते है कि भारतीय संविधान (Maulik Adhikaar aur Maulik Kartavy mein antar) विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है।
भारत के संविधान में भारत के नागरिकों को देा मुख्य भाग अर्थात मूल अधिकार व मूल कर्तव्य का उल्लेख किया गया है। इस लेख हम जानेगें कि भारत के संविधान में उपलब्ध मैलिक अधिकार व मैलिक कर्तव्य में क्या अन्तर है ?
मौलिक अधिकार और मौलिक कर्तव्य में अंतर (Maulik Adhikaar aur Maulik Kartavy mein antar) :
भारत के संविधान में भारत के नागरिकों के हितों से सम्बन्धित दो मुख्य भाग अर्थात मूल अधिकार व मूल कर्तव्य का उल्लेख किया गया है।
जिनका मुख्य उद्देश्य भारत के आम जनमानस को अपनी व्यक्तिगत अधिकार, आजादी व कर्तव्य से है। मूल अधिकार व मूल कर्तव्य में अन्तर ((Maulik Adhikaar aur Maulik Kartavy mein antar)) निम्नवत् है :
➡ मूल अधिकार को भारतीय संविधान के भाग 03 में जबकि मूल कर्तव्य को भारतीय संविधान के भाग 4 (क) में उल्लेखित किया गया है।
➡ मूल अधिकार को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 12 से 35 तक जबकि मूल कर्तव्य को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 (क) में उल्लेख है।
➡ 26 जनवरी सन् 1950 ई0 को जब भारत का संविधान लागू किया गया था। तक भारत के संविधान में मूल अधिकार का उल्लेख किया गया था। किन्तु उस समय भारत के संविधान में मूल कर्तव्य का उल्लेख नहीं किया गया था।
➡ मूल अधिकार मूल संविधान में कुल 07 था। किन्तु 44 वां संविधान संशोधन सन् 1978 ई0 में 6 वां मूल अधिकार संम्पत्ति का अधिकार को मूल अधिकार में से समाप्त कर इस संविधान के भाग 12 के अनुच्छेद 300 (क) के तहत निहित कर दिया गया।
जबकि मूल कर्तव्य को भारत के संविधान में 42 वां संविधान संशोधन अधिनियम सन् 1976 ई0 में जोड़ा गया था। उस समय संविधान में कुल 10 मूल कर्तव्यों का उल्लेख किया गया। लेकिंन 11 वां मूल कर्तव्य संविधान के 86 वां संशोधन अधिनियम सन् 2002 के तहत जोड़ा गया है।
➡ मूल अधिकार को अमेरिका के संविधान से जबकि मूल कर्तव्य को रूस के संविधान से लिया गया है।
➡ मूल अधिकार भारत के संविधान द्वारा दिया गया भारत के सभी नागरिकों का अधिकार होता है। जिसका उल्लंघन होने पर अनुच्छेद 32 के तहत भारत के उच्चतम न्यायालय द्वारा लागू कराया जा सकता है।
जबकि मूल कर्तव्य भारत के सभी नागरिकों का मूल कर्तव्य होता है। जिसे प्रत्येक नागरिक या व्यक्ति को पालन करना होता है।
➡ मूल अधिकार से सम्बन्धिन संविधान संशोधन अधिनियम 44 वां सन् 1978 है। जबकि मूल कर्तव्य से सम्बन्धित संशोधन अधिनियम 42 वां संशोधन अधिनियम 1976 है।
➡ संविधान में कुल 06 मूल अधिकार दिये गये है। जबकि मूल कर्तव्य की कुल संख्या 11 है।
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