Indian Samvidhan Sabha | भारतीय संविधान सभा मांग, निर्माण, बैठक और उनके समतितियाॅ !

आप भारतीय संविधान (Indian Samvidhan Sabha) के ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से यह समझ ही चुके है कि भारत का संविधान कुछ दिनों या कुछ सालों से नहीं अपितु शताब्दियों से इसका निमार्ण चलता चला आ रहा है।

हम इस लेख के माध्यम से यह जानने का प्रयास करते है कि वर्तमान में संविधान जो है उसका निर्माण, संविधान सभा (Indian Samvidhan Sabha) में महत्वपूर्ण बातें जहाॅ से किसी भी परीक्षा में प्रश्न आते ही हैं।

Indian Samvidhan sabha ki maang aur samivdhan nirman (संविधान सभा की मांग) :

Samvidhan Sabha (संविधान सभा) का विचार का प्रतिपादन सर्वप्रथम हंग्लैण्ड के समानतावादियों और सर हेनरी मेन ने किया था।
संविधान सभा का व्यवहारिक रूप में सर्वप्रथम अमेरिका और फ्रांस में अपनाया गया था।
भारत में संविधान विधेयक के माध्यम से सर्वप्रथम बाल गंगाधर तिलक ने सन् 1895 ई0 में संविधान सभा (Indian Samvidhan Sabha) के सिद्धान्त का दर्शन का उल्लेख किया गया था।
सन् 1922 ई0 में महात्मा गांधी जी ने कहा कि Indian Samvidhan भारतीय संविधान (Indian Samvidhan Sabha) भारतीयों की इच्छानुसार ही होगा।
सन् 1924 ई0 में पं0 मोती लाल नेहरू जी ने ब्रिटिश सरकार के सम्मुख संविधन सभा के निर्माण की माॅंग प्रस्तुत की गयी थी।
सन् 1924 ई0 में पं0 मोती लाल नेहरू जी ने ब्रिटिश सरकार के सम्मुख संविधन सभा के निर्माण की माॅंग प्रस्तुत की गयी थी।
सन् 1934 ई0 में एम0एन0राव अर्थात मानवेन्द्रनाथ राव जी जो एक वामपंथी आंदेालन के प्रमुख नेता थे। उन्होंने औपचारिक रूप से संविधान सभा के गठन का विचार सर्वप्रथम प्रस्तुत किया गया था।
सन् 1935 ई0 में भारतीय राष्ट्रय कांग्रेस ने पहली बार भारत के संविधान के निर्माण के लिए अधिकारिक रूप से संविधान सभा के गठन की मांग की गयी।
सन् 1938 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से पंडित जवाहरलाल नेहरू जी ने यह घोषणा कि की ‘‘ स्वतंत्र भारत का संविधान का निर्माण वयस्क मताधिकार के आधार पर चुनी गई संविधान सभा द्वारा किया जाएगा इसमें कोई बाहरी हस्तक्षेप नहीं होगा।‘‘

नेहरू जी के इस मांग को ब्रिटिश सरकार ने अपना सैद्धंतिक रूप से स्वीकार कर लिया था। जिसे सन् 1940 ई0 में अगस्त प्रस्ताव के रूप में जाना गया।

क्रिप्स मिशन :

भारत द्वारा लगतार अपनी स्वतन्त्रता की मांग को देखते हुए तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री विस्टन चर्चिल ने मार्च, 1942 ई0 में सर स्टेफोर्ड क्रिप्स की अध्यक्षता में भारतीय नेताओं से वार्ता करने हेतु भारत भेजा।

क्रिप्स मिशन द्वारा जारी किये गये प्रस्ताव को भारत के द्वितीय विश्व युद्ध के बाद लागू किया जाना था।

मुस्लिम लीग ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार इस लिए कर दिया कि यह देश का साम्प्रदायिक आधार पर विभाजन की उसकी माॅग नामंजूर कर दिया था।

कांग्रेस इस इस प्रस्ताव को इस लिए विरोध किया कि उमें भारत को टुकड़ों मंे बाॅटने की सम्भावनाओं के द्वार खोल दिये गये थे।

महात्मा गाॅधी जी ने इस प्रस्ताव को बाद की तिथि का चेक अर्थात Post Dated Cheque  कह कर आलोचना किया था।

जबकि पं0 जवाहर लाल नेहरू जी ने इस प्रस्ताव को टूटते हूए बैंक के नाम उत्तरदिनांकित चेक अर्थात Post dated Cheque a Crashing Bank की संज्ञा दी थी।

वेवेल योजना या शिमला समझौता:

क्रिप्स मिशन की असफलता के बाद भारतीयों को यह विश्वास हो गया कि ब्रिटिश सरकार से किसी भी प्रकार की आशा करना व्यर्थ ही है।

14 जुलाई, 1942 ई0 को वर्धा में कांग्रेस कार्य समिति की बैठक हुई जिसके तहत अंग्रेजों भारत छोड़ों का प्रस्ताव पारित किया गया।

8 अगस्त 1942 को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की मुम्बई के प्रसिद्ध ग्वालिया टैंक मैदान में मौलाना अबुल कलाम आजाद की अध्यक्षयता में एक अधिवेशन हुई।

इस अधिवेशन में महात्मा गंधी जी ने करो या मरो का नारा दिया था। उसके बाद 09, अगस्त 1942 ई0 को एक आन्दोलन की शुरूआत हुई जिसे अगस्त क्रान्ति के नाम से जाना गया।

तत्कालिन वायसराय ने 04 जून, 1945 ई0 को भारत में सेवैधानिक गतिरोध दूर करने तथा अनुकूल वातावरण तैयार करने के लिए एक विस्तृत योजना प्रस्तुत किया गया जिसे वेवेल योजना के नाम से जाना गया।

कैबिनेट मिशन :

14 मार्च, 1946 ई0 को ब्रिटिने के तत्कालिन प्रधानमंजी एटली ने हाउस आॅफ कामन्स में यह घोषण किया कि भारतीयों को स्वतन्त्रा होनें का अधिकार है।

इसके लिए उन्होंने कैबिनेट मंत्रियों की एक तीन सदस्यीय मिशन सर स्टेफोर्ड क्रिप्स की अध्यक्षता में गठान किया गया जिसे कैबिनेट मिशन के नाम से जाना जाता है। जो भारत 24 मार्च 1946 ई0 को पहुंचे।

  1. स्टेफोर्ड क्रिप्स अध्यक्ष
  2. लार्डं पैंथिक लारेन्स भारत के सचिव
  3. ए0वी0एलेक्जेंडर सदस्य

Samvidhan sabha ki nirman (संविधान सभा की निर्माण) :

कैबिनेट मिशन के आधार पर भारत में संविधान सभा (Indian Samvidhan Sabha) का गठन प्रान्तीय विधानसभा सदस्यों द्वारा अप्रत्यक्ष रूप निर्वाचन प्रणाली के माध्यम से किया गया।

जिसके तहत सामान्यतः 10 लाख की जनसंख्या पर एक प्रतिनिध का चुनाव संविधान सभा के लिए किया गया।

संविधान सभा (Indian Samvidhan Sabha) की कुल सदस्यों की संख्या 389 निर्धारित किया गया, जिसमें से 292 सदस्य ब्रिटिश प्रान्तों से, 93 सदस्य देशी रियासतों से व शष 04 सदस्य चीफ कमिश्नर क्षेत्रों में निर्धारित किये गये।

ब्रिटिश प्रान्तों के 296 सदस्यों में से सामान्य 213 सदस्य, मुसलमान 79 सदस्य व सिक्ख हेतु 04 सिट निर्धारित किया गया।

जुलाई-अगस्त, 1946 ई0 को ब्रिटिश भारत के प्रांतों को आवंटित कुल 296 सिटों पर चुनाव सम्पन्न हुआ, जिसमंें 208 सीट पर कांग्रेस को व 73 सीट पर मुस्लिम लीग, 01 सीट पर युनियनिस्ट, 01 सीट युनियनिस्ट मुस्लिम, 01 सीट युनियनिस्ट शिड्यूल कास्ट, 01 सीट कृषक प्रजा पार्टी, 01 सीट अनुसूचित जाति, 01 सीट सिक्ख व 01 सीट साम्यवादी के साथ-साथ 08 सिटों पर निर्दलीय प्रत्याशी का निर्वाचिन हुआ था।

संविधान सभा (Indian Samvidhan Sabha) में महिला सदस्यों की संख्या 15, अनुसूचित जातियों की संख्या 26 तथा अनुसूचित जन जातियों की संख्या 33 थी।

हैदराबाद एक ऐसी रियासत थी जिसके प्रतिनिधि ने संविधान सभा में सम्मिलित नहीं हुए थें।

अन्तरिम सरकार का गठन:

कैबिनेट मिशन योजना के तहत 24 अगस्त सन् 1946 ई0 को भारत में सर्वप्रथम अन्तरिम सरकार की गठन की घोषण की गई तथा 02 सितम्बर, 1946 ई0 को पं0 जवाहर लाल नेहरू की नेतृत्व में अन्तरिम सरकार की गठन की गई।

प्रारम्भ में कुल 13 लोगों को शामिल थे। जिसमें लार्ड माउण्ट मेटेन अध्यक्ष व पं0 जवाहर लाल नेहरू जी उपाध्यक्ष थे।

26 अक्टूबर, 1946 ई0 को गठित आंतरिम सरकार में जब मुस्लिम लीग भी शामिल हो गयी तो इसकी संख्या 13 से 15 हो गयी। जो निम्नवत् है:

लार्ड माउण्ट बेटेन अध्यक्ष।
जवाहर लाल नेहरू कार्यकारी परिषद से उपाध्यक्ष, विदेशी मामले तथा राष्ट्रमण्डल।
बल्लभ भाई पटेल गृह, सूचना तथा प्रसारण मंत्रालय।
जान मथई उद्योग तथा आपूर्ति।
बलदेव सिंह रक्षा।
सी0 राजगोपालाचारी शिक्षा।
सी0एन0भाभा कार्य, खान तथा बन्दरगाह।
राजेन्द्र प्रसाद खाद्य एवं कृषि।
आसफ अली रेलवे।
जगजीवन राम श्रम।
लियाकत अली खाॅ वित्त।
आई0आई0 चुन्दगीगर वाणिज्य।
अब्दुल रब निश्तार संचार।
जोगेन्द्र नाथ मण्डल विधि।
गजानंफर अली खाॅ स्वास्थ।

 

संविधान सभा (Indian Samvidhan Sabha) में अपनी स्थिति कमजोर देखकर मुस्लिम लिग से अपना अलग से संविधन सभा की माॅग की और निर्वाचित संविधान संभा (Indian Samvidhan Sabha) का बहिस्कार करने लगे।

09 दिसम्बर, 1946 ई0 को संविधान सभा के प्रथम अधिवेशन में लीग के प्रतिनिधि शामिल नहीं हुए, जिसके कारण से प्रथम बैठक में कुल 207 सदस्य ही उपस्थित थें।

03 जून 1947 ई0 को भारत के बंटवारे के लिए पेश की गयी मांउटबेटन योजना को स्वीकार कर लिया गया।

जिसके तहत संविधान सभा के सदस्यों की संख्या 389 से घट कर 299 हो गयी। 299 सदस्यों में से 229 ब्रिटिश प्रान्तों से व 70 देशी रियासतों से चुने गये।

संविधान सभा का बैठक :

भारतीय संविधान (Indian Samvidhan Sabha) के निर्माण हेतु संविधान सभा की प्रथम बैठक 09 दिसम्बर, 1946 ई0 को नई दिल्ली के संसद भवन के केन्द्रीय कक्ष Constitution Hall में हुई थी।

बैठक में तत्समय के सबसे वरिष्ठतम् सदस्य डाॅ. सच्चिदाननद सिन्हा को सभा का अस्थायी अध्यक्ष के रूप में और एच0सी0मुखर्जी को उपाध्यक्ष के रूप में चुना गया।

प्रथम बैठक के दो दिन बाद अर्थात 11 दिसम्बर, 1949 को डा0 राजेन्द्र प्रसाद को सर्ममाम्मिति से संविधान सभा का स्थायी अध्यक्ष नियुक्त किया गया। और सर वी0एन0राव को संविधान सभा का संवैधानिक सलाहकार नियुक्त किया गया।

संविधान सभा (Indian Samvidhan Sabha) के अध्यक्ष के चुनाव के ठिक दो दिवस उपरान्त अर्थात 13 दिसम्बर, 1946 ई0 को जवाहर लाल नेहरू जी ने संविधान सभा (Indian Samvidhan Sabha) के सम्मुख प्रस्ताव उद्देश्य प्रस्तुत किया गया। जिसे संविधान सभा ने 1947 ई0 में स्वीकृति कर लिया।

भारतीय संविधान सभा का वाचन:

संविधान सभा का प्रथम वाचन 4 नवम्बर, 1948 से 9 नवम्बर, 1948 ई0 कुल 6 दिवस ही चला था।

संविधान सभा का द्वितीय वाचन 15 नवम्बर, 1948 ई0 से प्रारम्भ हुआ, जो 17 अक्टूबर, 1949 ई0 तक चला था।

संविधान सभा का तृतिय व अंतिम वाचन 14 नवम्बर, 1949 ई0 से लेकर 26 नवम्बर, 1949 ई0 तक चला था।

26 नवम्बर, 1949 ई0 को भारत का संविधान को पारित कर दिया गया। जिस समय यह भारतीय संविधान पारित किया जा रहा था उस समय संविधान सभा के कुल 284 सदस्य ही उपस्थिति थे।

संविधान सभा की समितियाॅ व उनके अध्यक्ष :

भारत के संविधान सभा के दो समितियों में बाटा गया था:

1. प्रक्रिया सम्बन्धी समितियाॅ :

इस समिति के तहत प्रक्रिया नियम समिति, अधिकार समिति, सभा समिति, परिचालन समिति, हिन्दी व उर्दू अनुवाद समिति आदि प्रक्रिया सम्बन्धी प्रमुख थी।

2. विषय सम्बन्धी समिति :

इस समिति के तहत मुख्य रूप से प्रारूप समिति, संघ शक्ति समिति, संघीय संविधान समिति, प्रान्तीय संविधान समिति, मूल अधिकार समिति, रियासत समिति, अल्पसंख्यक समिति आदि विषय सम्बन्धी प्रमुख समितियाॅ थी।

प्रारूप समिति =  डा0 भीम राव अम्बेडकर।

संघ संविधान समिति =  जवाहर लाल नहेरू।

प्रांतीय संविधान समिति = सरदार बल्लभ भाई पटेल।

मूल अधिकार एवं अल्पसंख्यक समिति = सरदार बल्लभ भाई पटेल।

झंडा समिति, देशी रियासत समझौता, संचालन समिति, नियम समिति व रियायत समिति = डा0 राजेन्द्र प्रसाद।

स्ंाघ शक्ति समिति = के0एम0 मुन्शी।

मूल अधिकार सम्बन्धित उपसमिति = जे0बी0 कृपलानी।

सर्वोचच नयायालय समिति = एस0 वारदाचारियार

राज्य समिति = जवाहर लाल नहेरू।

संविधान सभा के कार्यकरण सम्बन्धी समिति = जी0वी0 मावलंकर।

Samvidhan Sabha ka Work (संविधान सभा की कार्य) :

संविधान सभा द्वारा समय मे संविधान के निर्माण के साथ अन्य महत्वपूर्ण कार्य किया गये हैः जो निम्नवत् हैः-

सन् 1949 ई0 को संविधान सभा द्वारा भारत की सदस्यता राष्ट्रमंडल में सत्यापन किया गया।

सविधान सभा द्वारा 22 जुलाई, 1947 ई0 को भारत का राष्ट्रीय ध्वज को अपनाया गया।

24 जनवरी 1950 को राष्ट्रीय गान एवं राष्ट्रीय गीत को अपनाया गया।

 

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