भारत का संविधान विश्व का सबसे बडा लिखित संविधान है। जिसमें भारत के नागरिकों, प्रवाशियों, एन0आर0आई0 नागरिकों के साथ भारत में रह रहें जानवरों (Important Indian Laws about Pets and Animals) को भी संवौधानिक/कानूनी अधिकार दिया गए हैं।
जानवरों के संवौधनिक अधिकार के तहत उन्हें जीवन जीने का अधिकार व आजादी का अधिकर दिया गया है, जिसका उल्लंघन होने/करने पर सम्बन्धित के विरूद्ध कई तरह के दंड के साथ-साथ जेल भी हो सकते है।
साथ ही भारत देश में जानवरों व वन जिवों के साथ किये गये व्यवाहार के सम्बन्ध में भी भारतीय कानून भारतीय कानून में व्यवस्था के तहत अपराध की श्रेणी में आता है।
भारत देश में जानवरों व वन जिवों के लिए महत्वपूर्ण कानून बनाएं गए हैं, लेकिन जानवरों व वन जिवों के लिए क्या-क्या कानून/अधिकार है, इससे अधिकांश लोग अनजान हैं।
ऐसे में जानें संविधान में जानवरों के लिए क्या अधिकार दिए गए हैं। जो निम्नवत् हैः-
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जानवरों को जिने का अधिकार।
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पशु को मारना, त्याग/छोड़ने से बचने का अधिकार।
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मनोरंजन या गैरकानूनी प्रशिक्षण से बचने का अधिकार।
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पालतू जानवारों को भूखा नहीं रखने का अधिकार।
भारत के संविधान के प्रथम अनुसूचि में 43 वन जिवों का उल्लेख किया गया है। (Important Indian Laws about Pets and Animals)
संविधान के अनुच्छेद 51 (ए) में यह प्रावधान किया गया है कि हर जीवित प्राणी के प्रति सहानुभूति रखना, देश के हर नागरिक का मूल कर्तव्य है।
जिसकी रक्षा करना भारत के लोगों की जिम्मेदारी है। (Important Indian Laws about Pets and Animals hindi me)
भारत मे सन् 1960 ई0 में पशु व जानवरों के प्रति व्यवहार व उन्हें बचाने हेतु पशु कूरता निवारण अधिनियम 1960 लागू किया गया है।
जिसके तहत भारत में रह रहें पशु व जानवरों को मारना अपराध है, बिमार व गर्भवती पशु को मारना व त्याग देना भी अपराध के श्रेणी में आता है।
जिसके तहत दोषी पाए जाने पर सम्बन्धीत को 03 माह तक की कैद हो सकती है। (Important Indian Laws about Pets and Animals)

सन् 1960 के पी0सी0ए0अधिनियिम के तहत किसी क्षेत्र में कुत्तों की संख्या अधिक होने पर प्रशासन पशु कल्याण संस्था की सहयोग से उनका नसबंदी करके उन कुत्तों को उसी इलाके में छोड़ना होता है लेकिन उसे मारा नहीं सकते हैं।
मनोरंजन या गैरकानूनी प्रशिक्षण से बचने का अधिकार :-
भारत देश में लागू सन् 1960 में पी0सी0ए0एक्ट की धारा 22 (ख) के तहत वन जिवों जैसे- बाघ, तेंदुए, शेर, भालू व बंदर यहाॅ तक बैल को भी अपने मनोरंजन के लिए प्रशिक्षित कराना या उसका प्रयोग करना गौर कानूनी है।
उपरोक्त एक्त के तहत भारत देश में पक्षी, सापो के अंडों को क्षति पहुचांना भी गौर कानूनी व दंडनीय अपराध की श्रोणी में आता है।
अगर उपरोक्त अपराध के दोषी पाये जाते है तो सात साल तक जेल हो सकती है।
भारत देश में लागू सन् 1960 में पी0सी0ए0एक्ट की धारा 11 (1) के तहत पालतू जानवरों को भूखा नहीं रखा जा सकता है।
ऐसा करने पर आपको देा साल तक की सजा हो सकती है।
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भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 (क) के तहत प्रावधान किया गया है कि, हर जीवित प्राणी के प्रति सहानुभूति रखना, देश के हर नागरिक का मूल कर्तव्य है।
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प्रिवेंशन आॅफ क्रूएलिटी आॅन एनिमल्स एक्ट और फूउ सेफ्टी रेगुलेशन।
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धारा 428 और 429 के तहत।
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ड्रग्स एंड काॅस्मेटिक रूल्स एक्ट 1949 के तहत।
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स्टाॅटरहाउस रूल्स सन् 2001 के तहत।
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पी0सी0ए0 एक्ट के सेक्शन 22 ख के तहत।