हम इस लेख में भारत के मूल अधिकार (Fundamental Rights in Hindi) के प्रारम्भ से अभी तक सभी महत्वपूर्ण बिन्दुओं को रखा गया है। जिसका उद्देश्य आसान शब्दों में भारत के मूल अधिकार को बताना व समझाना है।
जैसा की आप जनते है कि भारत का संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। जिसका निर्माण भारत के ब्रिटिश शासन के समय से ही प्रारम्भ हो चुका था।
भारत का संविधान में भारत के लोगों को कुछ अधिकार भारतीय संविधान में दिये गये है। जिन्हें मूल अधिकार के नाम से जाना जाता है।
मूल अधिकार की परिभाषा (What is Fundamental Rights in Hindi ? ):
मूल अधिकार दो शब्दों मूल व अधिकार से मिलकर बना हुआ है। मूल शब्द का अर्थ चहुंमुखी विकास अर्थात भौतिक, बौद्धिक, नौतिक व आध्यात्मिक विकास को दर्शाता है।
जबकि अधिकार शब्द किसी व्यक्ति को उस देश द्वारा दिया जाता है। जो जन्म से उस व्यक्ति को प्राप्त हो जाता है।
मूल अधिकार को भारत का मैग्नाकार्टा भी कहा जाता है। मूल अधिकार का अर्थ राजनीतिक लोकतंत्र के आदर्शें की उन्नति से है।
यह अधिकार देश में व्यवस्था बनाए रखने एवं राज्यों के कठोर नियमों के खिलाफ उस देश के नागरिकों की आजादी व हितों की सुरक्षा प्रादान करता है।
मूल अधिकार का इतिहास :
मूल अधिकार का विकास सर्वप्रथम साक्ष्य ब्रिटेन में सन् 1215 ई0 में इसका उल्लेख मिलता है। सन् 1215 ई0 में तत्कालिन सम्राट ‘जान‘ द्वारा अपने देश के नागरिकों के हितों व आजादी हेतु एक दस्तावेज पारित किया या लाया जाता हैं जिसे मैग्नाकार्टा (Magnacarta) के नाम से जाना गया।
जो मूल अधिकार का प्रथम लिखत दस्तावेज है। सन् 1689 ई0 में ब्रिटेन द्वारा एक और दस्तावेज लाएं जाता है, जिसे बिल आॅफ राइटस (Bill of Rights) के नाम से जाना गया।
सन् 1789 ई0 में फ्रांसीस शासक लुई सालेहवें को अपने देश के मानव एवं नागरिकों के अधिकार घोषण पत्र प्रस्तुत किया जाता है।
जो मूल अधिकार से सम्बन्धित है। इतिहास में सर्वप्रथम किसी शासक को मूल अधिकारों के उलंघन हेतु वहाॅ के नागरिकों द्वारा उस समय के शासक लुई सालेहवें को फासी पर लटका दिया जाता है।
सन् 1791 ई0 में अमेरिका के संविधान में एक संशोधन विधयक Bill of Rights द्वारा वहाॅ के नागरिकों को मूल अधिकार दिया गया।
नोट: अगर आपसे यह पूछा जाएं कि सर्वप्रथम मूल अधिकारों का विकास कहाॅ हुआ तो इसका उत्तर ब्रिटेन होगा। लेकिन अगर यह पूछा जाएं कि सर्वप्रथम किस देश के संविधान में मूल अधिकार का प्रावधान किया गया तो इसका उत्तर अमेरिका होगा।
भारत में मूल अधिकारों की मांग :
भारत में मूल अधिकारों का सर्वप्रथम मांग संविधान विधेयक द्वारा सन् 1895 ई0 में किया गया था। उनके बाद कांग्रेस द्वारा सन् 1917-19 ई0 के मध्य किया गया।
श्रीमती एनी बेसेण्ट की पुस्तक कॉमनवेल्थ ऑफ इंडिया बिल के माध्यम से सन् 1925 ई0 में किया गया। सन् 1927 ई0 कांग्रेस के मद्रास अधिवेशन में अधिकारिक तैर पर मूल अधिकारों की मांगी की गयी।
मोती लाल नेहरू जी द्वारा प्रस्तुत की गयी नेहरू रिपोर्ट सन् 1928 ई0 में भी मूल अधिकारों की मांगी की गयी है। फिर सन् 1930 ई0 में कांग्रेस के करांची अधिवेशन में भी पुनः मूल अधिकारों की मांगी की गयी है।
सन् 1931 ई0 में द्वितीय गोल मेज सम्मेलन के दौरान महात्मा गांधी जी द्वारा मूल अधिकारों की मांग की गयी जिसे सन् 1934 ई0 में ब्रिटेन सरकार की संयुक्त संसदीय समिति द्वारा अस्वीकार कर दिया गया।
संविधान सभा द्वारा नवम्बर, 1946 ई0 में संविधान सभा की मांग की गयी है। जिसके तहत एक समिति की स्थापना किया गया।
जिसे मूल अधिकार तथा अल्पसंख्यक अधिकार समिति के नाम से जाना गया। जिसके अध्यक्ष बल्लभ भाई पटेल थे। मूल अधिकार तथा अल्पसंख्यक अधिकार समिति की एक उपसमिति जीवटराम भगवानादास कृपलानी अर्थात जे.बी. कृपलानी की देख-रेख में किया गया था।
भारतीय संविधान में मौलिक अधिकार का वर्णन:
संविधान सभा के गठन के उपरान्त भारत में संविधान में मौलिक अधिकार हेतु बल्लभ भाई पटेल की अध्यक्षता में एक समिति नवम्बर, 1946 ई0 में मूल अधिकार तथा अल्पसंख्यक अधिकार समिति की गठन किया गया। साथ ही इसकी एक उपसमिति जे0बी0 कृपलानी की अध्यक्षता में किया गया।
भारत के संविधान में मूल अधिकार संविधान के भाग – 03 में अनुच्छेद 12 से 35 के मध्य किया गया है। जो अमेरिका के संविधान से लिया गया है। प्रारम्भ में भारत के मूल अधिकार 07 नियत किया गया था। जो निम्नवत है:
- समानता का अधिकार।
- स्वतंत्रता का अधिकार।
- शोषण के विरूद्ध अधिकार।
- धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार।
- संस्कृति और शिक्षा सम्बन्धित अधिकार।
- सम्पत्ति का अधिकार।
- संविधानिक उपचारों का अधिकार।
6th मूल अधिकार अर्थात सम्पत्ति का अधिकार अनुच्छेद 31 को भारत के 44 वें संविधान संशोधन विधयक सन् 1978 ई0 में इसे मूल अधिकार से समाप्त कर भारत के संविधान के भाग 12 के अनुच्छेद 300 (क) में लागू कर दिया गया है।
जिसके कारण सम्पत्ति का अधिकार अब मूल अधिकार नहीं रहा व इसी कारण वश वर्तमान समय में भारत के नगरिकों हेतु मात्र 06 मूल अधिकार ही है। जो निम्नवत है:-
- समानता का अधिकार।
- स्वतंत्रता का अधिकार।
- शोषण के विरूद्ध अधिकार।
- धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार।
- संस्कृति और शिक्षा सम्बन्धित अधिकार।
- संविधानिक उपचारों का अधिकार।
जैसा की आप जानते है कि भारत के संविधान में वर्तमान समय में छ: मूल अधिकार प्रदान करता है। जिसमें सबसे प्रथम समानता का अधिकार जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 से 18 तक इसका उल्लेख है जिसमें कुल 05 अनुच्छेद यथा अनुच्छेद 14, 15, 16, 17 व 18 है।
उसी प्रकार द्वितीय मूल अधिकार स्वतंत्रता का अधिकार जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 19, 20, 21 व 22 तक है जिसमें कुल 04 अनुच्छेद है, शोषण के विरूद्ध अधिकार अनुच्छेद 23 व 24 जिसमें कुल 02 अनुच्छेद है।
धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 25 से 28 तक है जिसमें कुल 04 अनुच्छेद यथा 25, 26, 27 व 28 है।
संस्कृति और शिक्षा सम्बन्धित अधिकार जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 29 व 30 अर्थात कुल 02 अनुच्छेद व अंतिम मूल अधिकार संविधानिक उपचारों का अधिकार जो केवल भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 में ही है।
1. समानता का अधिकार :
समानता का अधिकार भारत के संविधान द्वारा भारत के नागरिकों को दिया गया सबसे प्रथम मूल अधिकार है। जो भारत के संविधान में अनुच्छेद 14 से 18 तक उल्लेखित किया गया है। जिसमें कुल 05 अनुच्छेद यथा 14, 15, 16, 17 व 18 है।
अनुच्छेद 14 :
विधि के समक्ष एवं विधियों का समान संरक्षण।
यहाॅ विधि के समक्ष का विचार ब्रिटिश मूल का सिद्धान्त एवं विधियों का समान संरक्षण अमेरिका मूल का विचार से प्रेरित है।
अनुच्छेद 15 :
धर्म, मूल वंश, लिंग और जन्म स्थान के आधार पर विभेद का प्रतिक्षेद।
अनुच्छेद 16 :
लोक नियोजन के विषय में अवसर की समनता।
अनुच्छेद 17 :
अस्पृश्यता या छूआ-छूत का अंत।
अनुच्छेद 18 :
सेना व विद्या सम्बन्धित सम्मान के सिवाए सभी उपाधियों पर रोक।
02. स्वतंत्रता का अधिकार :
भारतीय संविधान में अपने नागरिकों को दिये गये द्वितीय मूल अधिकार स्वतंत्रता का अधिकार है। जो संविधान के भाग – 03 के अनुच्छेद 19 से 22 तक है। जिसमें कुल 04 अनुच्छेद यथा 19, 20, 21 व 22 है।
अनुच्छेद 19 :
मूल अधिकारों में अनुच्छेद 19 का महत्व सर्वाधिक है। मूल संविधान में अनुच्छेद 19 के तहत कुल 07 अधिकार दिये गये थे।
लेकिन 44 वां संविधान संशोधन अधिनियम सन् 1978 ई0 द्वारा छः वां अधिकार सम्पत्ति का खरीदने, अधिग्रहण करने या बेच देने के अधिकार समाप्त हो जाने के कारण वर्तमान में अब केवल 06 अधिकार उपलब्ध है। जो निम्नवत् है:
- वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता या बोलने की स्वतंत्रता।
- शांतिपूर्वक और निरायुध सम्मेलन का अधिकार या शांतिपूर्वक बिना हथियारों के एकत्रित होने आरै सभा करने की स्वतंत्रता।
- संगम संघ या सहकारी समितियाॅ बनाने का अधिकार अर्थात संघ बनाने का अधिकार या स्वतंत्रता।
भारत के राज्य क्षेत्र में सर्वत्र अवाध संचरण करने अधिकार अर्थात देश के किसी भी क्षेत्र में आवागमन की स्वतंत्रता। - भारत के राज्य क्षेत्रों के किसी भाग में निर्बाध घूमने और बस जाने या निवासी करने का अधिकार या स्वतंत्रता। अपवाद जम्मू कश्मीर।
- काई भी व्यापार एवं जीविका चलाने का अधिकार या स्वतंत्रता।
अनुच्छेद 20 :
इस अनुच्छेद के तहत भारत के लोगों को अपराध के लिए दोषसिद्धि के सम्बन्ध में संरक्षण के तहत 03 तरह की संरक्षण दिया गया है :
- एक अपराध के लिए एक बार ही सजा मिलना।
- अपराध करते समय जो कानून है उसी के तहत सजा होना।
- किसी भी व्यक्ति के स्वयं के विरूद्ध न्यायालय में गवाही देने के लिए बाध्य नहीं किया जाना।
अनुच्छेद 21 :
प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण अर्थात भारत में किसी भी व्यक्ति को विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अतिरिक्त उसके जीवन और वैयक्ति स्वतंत्रता के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है।
अनुच्छेद 21 (क)
इसे 86 वें संविधान संशोधन अधिनियम सन् 2002 में लागू किया गया है। जिसके तहत भारत के किसी बच्चों जिनकी आयु 06 से 14 वर्ष के मध्य है, समस्त बच्चों को ऐसे ढ़ग से जैसा कि राज्य, विधि द्वारा अवधारित करें, निःशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा उपब्ध करायेगा।
अनुच्छेद 22 :
कुछ दशाओं में गिरफ्तारी और निराध में संरक्षण अर्थात किसी भी व्यक्ति को मनमाने ढंग से हिरासत में ले लिया गया हो, तो उसे तीन प्राकर की स्वतंत्रता भारत के संविधान द्वारा प्रदान की गयी है :
- हिरासत में लेने का कारण बताना होगा।
- 24 घंटे के अन्दर उसे दंडाधिकारी के समक्ष पेश किया जायेगा।
- उसे अपने पसन्द के वकील से सलाह लेने का अधिकार होगा।
3. शोषण के विरूद्ध अधिकार :
संविधान के अनुच्छेद 23 व 24 में नागरिकों को शोषण के विरूद्ध मूल अधिकार दिये गये है।
अनुच्छेद 23 :
इस अनुच्छेद के तहत मानव के दुर्व्यापार और बलात श्रम का प्रतिबन्धित किया गया है। जिसमें किसी भी व्यक्ति की खरीद-बिक्री, बेगारी तथा इसी प्रकार का अन्य जबरस्ती लिया हुआ श्रम निषिद्ध निषिद्ध ठहराया गया है।
अनुच्छेद 24 :
बालाकों के नियोजन का प्रतिषेध। अर्थात भारत देश में 14 वर्ष से कम आयु वाले किसी भी बच्चे को कारखानों खानों या अन्य किसी भी जोखिम भरे स्थान पर नियुक्ति नहीं किया जा सकता है।
4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार :
संविधान के अनुच्छेद 25, 26, 27 व 28 में धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकारों का उल्लेख किया गया है। जिसके तहत भारत के नागरिकों को अपने धर्म से सम्बन्धित मूल अधिकारी प्रदान किया गया है।
अनुच्छेद 25:
अंतःकरण की और धर्म के अबाध रूप से मानने, आचरण और प्रचार करने की स्वतंत्रता अर्थात भारत के किसी भी व्यक्ति को किसी भी धर्म को मना सकता है, व उसका प्रचार-प्रसार कर सकता है।
अनुच्छेद 26 :
धार्मिक कार्यों के प्रबन्ध की स्वतंत्रता अर्थात भारत के किसी व्यक्ति द्वारा अपने धर्म के लिए संस्थाओं की स्थापना के अर्जन, स्वामित्व व प्रशासन का अधिकार दिया गया है।
अनुच्छेद 27 :
इसके तहत कोई भी व्यक्ति को ऐसे कर देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है, जिसकी आय किसी विशेष धर्म अथवा धार्मिक सम्प्रदान की उन्नति या पोषण में व्यय करने के लिए विशेष रूप से निश्चित हो।
अनुच्छेद 28 :
राज्य विधि से पूर्णतः पोषित किसी भी शिक्षा संस्थाओं में कोई भी धार्मिक शिक्षा नहीं दी जायेगी। अर्थात ऐसे कोई भी शिक्षा संस्था अपने विद्यार्थियों को किसी भी धार्मिक अनुष्ठान में भाग लेने या किसी धर्मोपदेश को बलात् सुनने हेतु बाध्य नहीं कर सकती है।
5. संस्कृति एवं शिक्षा सम्बन्धित अधिकार :
संविधान के भाग-03 के अनुच्छेद 29 व 30 में इसका उल्लेख किया गया हैं। जिसके तहत भारत के लोगों को संस्कृति एवं शिक्षा सम्बन्धित मूल अधिकार प्रदान किया गया है।
अनुच्छेद 29 :
इसके तहत भारत का संविधान भारत के नागरिकों के लिए अल्पसंख्यक वर्गों के हितों का संरक्षण प्रदान करता है। जिसके तहत काई भी अल्पसंख्यक वर्ग अपनी भाषा, लिपि और संस्कृति को सुरक्षित संरक्षित कर सकता है।
अनुच्छेद 30 :
भारत के संविधान में अनुच्छेद 30 के तहत शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन करने का अल्पसंख्यक वर्गों का अधिकार का उल्लेख किया गया है।
जिसके तहत कोई भी अल्पसंख्यक वर्ग अपनी पसन्द का शैक्षणिक संस्था चला सकता है व सरकार उसे अनुदान देने में किसी भी प्रकार का भेद-भाव नहीं कर सकता है।
6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार :
भारत के संविधान का सबसे महत्वपूर्ण मूल अधिकारी है जिसे डॉ. भीम राव अम्बेडकर जी ने संविधान की आत्मा की संज्ञा दी है।
जिसके तहत किसी भी मूल अधिकार का अधिकार का हनन होने पर भारत के उच्चतम न्यायालय में पॉच तरह के रिट दाखिल किया जा सकता है।
- बन्दी प्रत्यक्षकरण।
- परमादेश।
- प्रतिषेध लेख।
- उत्प्रेषण।
- अधिकार पृच्छा लेख।
मूल अधिकार को याद करने की आसान ट्रिक :
मौलिक अधिकार का याद करने का सबसे असान तरिका है कि आप यह शब्द याद कर लें
‘‘ समस्त शोध संस्कृति के उपचार है। ‘‘
जहॉ सम् + स्त + शो + ध + संस्कृति + उपचार का अर्थ निम्नलिखित है :-
- सम शब्द का अर्थ ➡ समानता का अधिकार है।
- स्त शब्द का अर्थ ➡ स्वतत्रंता का अधिकार से है।
- शो शब्द का अर्थ ➡ शोषण के विरूद्ध अधिकार है।
- ध शब्द का अर्थ ➡ धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार है।
- संस्कृति शब्द का अर्थ ➡ धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकारी है।
- उपचार शब्द का अर्थ ➡ संविधानिक उपचारों के अधिकार से है।
💡 मूल अधिकार के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर : 💡
Q. मूल अधिकारों से सम्बन्धित प्रथम दस्तावेज किसी देश में प्राप्त हुआ है ?
A. बिट्रेन से।
Q. मैग्नाकार्टा किससे सम्बन्धित दास्तावेज है ?
A. मूल अधिकार से सम्बन्धित।
Q. मूल अधिकारों का सर्वप्रथम विकास कहाॅ हुआ ?
A. ब्रिटेन में।
Q. भारत देश का मूल अधिकार किस देश के संविधान से लिया गया है?
A. अमेरिका के संविधान से।
Q. भारतीय संविधान ने भारत का संविधान को किसी भाग में उल्लेखित किया है ?
A. भाग -03
Q. ब्रिटिश नागरिकों को सर्वप्रथम लिखित रूप में मूल अधिकार प्रदान करने वाले दस्तावेज का क्या नाम है ?
A. अधिकार पत्र या मैग्नाकार्ट।
Q. सर्वप्रथम किसी देश के संविधान में मूल अधिकारों का प्रावधान किया गया ?
A. अमेरिका के संविधान में सन् 1791 ई0 में।
Q. भारत में सर्वप्रथम मूल अधिकारों की मांग किस विधेयक के माध्यम से की गयी ?
A. संविधान विधेयक 1895 ई0 के माध्यम से।
Q. सन् 1925 ई0 में कामन वेल्थ आॅफ इंडिया बिल के माध्यम से किसने मूल अधिकारों की मांग की है ?
A. श्रीमती एनी बेसेन्ट ने।
Q. नेहरू रिपोर्ट किससे सम्बन्धित है ?
A. मूल अधिकारों से, जिसे मोती लाल नेहरू जी ने सन् 1928 में प्रस्तुत किया गया है।
Q. संविधान सभा द्वारा किसकी अध्यक्षता में मूल अधिकार पर परामर्श हेतु एक समिति का गठन किया गया था ?
A. बल्लभ भाई पटेल जी की अध्यक्षता में।
Q. भारतीय संविधान में किन अनुच्छेद के अन्तर्गत नागरिकों को मूल अधिकार प्रदान किया गया है ?
A. अनुच्छेद 12 से 25 के अन्तर्गत।
Q. किस संविधान संशोधन द्वारा यह उपबन्ध किया गया कि आपात काल के दौरान अनुच्छेद 20 तथा 21 निलम्बित नहीं किये जा सकते है ?
A. 44 वां संविधान संशोधन विधयक सन् 1978 के द्वारा।
Q. संविधान का कौन सा अनुच्छेद उच्चतम न्यायालय को मूल अधिकारों का सजग प्रहरी बनाता है ?
A. अनुच्छेद 13।
Q. भारत के मूल संविधान में कुल कितने मूल अधिकार का उपलबन्ध किया गया था ?
A. 07 मूल अधिकार का।
Q. कौन सा अनुच्छेद यह उपबन्धित करता है कि राज्य, धर्म, मूल वंश, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर विभेद नहीं करेगा ?
A. अनुच्छेद 15 के तहत।
Q. कौन सा अनुच्छेद अस्पृश्यता का अन्त करता है ?
A. अनुच्छेद 17 द्वारा।
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