स्वर वर्ण क्या है ?  

स्वर वर्ण वे ध्वनियाँ होती है, जिनका उच्चारण बिना किसी अन्य ध्वनि की सहायता के होती है। अर्थात उच्चारण करते समय जब बिना किसी अन्य ध्वनी की सहायता से किया जाता है तो उसे स्वर कहते है।

वर्ण कितने प्रकार के होते है ?

यह तीन प्रकार के होते है। 1. ह्स्व स्वर। 2. दीर्घ स्वर। 3. संयुक्त स्वर।

1- ह्स्व स्वर।

ह्स्व स्वर को मूल स्वर के नाम से भी जाना जाता है। यह मुख्य रूप से 04 प्रकार के होते है। 1. अ। 2. इ। 3. उ। 4. ऋ।

2- दीर्घ स्वर।

जब दो मूल स्वर मिलते है तो वे दीर्घ स्वर का निमार्ण करते है। अर्थात दीर्घ स्वर मूल स्वरों के संयोग से बने होते है या दो समान मूल स्वरों के योग से बनने वाले स्वर को दीर्घ स्वर कहते है। यह तीन प्रकार के होते है। 1. आ = अ + अ। 2. ई = इ + इ। 3. ऊ = उ = उ। 4. ऋृ = ऋ + ऋ।

3- संयुक्त स्वर:

दो असमान मूल स्वरों के योग से बने हुए स्वर को संयुक्त स्वर कहते है। इनकी संख्या 04 होते है। 1. ए  = अ + इ। 2. ऐ  = अ + ए। 3. ओ  = अ + उ। 4. औ  = अ + औ।

स्वरों का उच्चारण क्या है ?  

स्वरों का उच्चारण अ व आ कण्ठ्य (कण्ठ के प्रयोग से) द्वारा, इ व ई का उच्चारण तालव्य द्वारा ऋ का उच्चारण मूर्द्धन्य द्वारा, उ व ऊ का उच्चारण ओष्ठ्य द्वारा, ए व ऐ का उच्चारण कण्ठतालाव्य द्वारा एवं ओ व औ का उच्चारण कष्ठोष्ठ्य द्वारा किया जाता है।

स्वरों का उच्चारण अ व आ कण्ठ्य (कण्ठ के प्रयोग से) द्वारा, इ व ई का उच्चारण तालव्य द्वारा ऋ का उच्चारण मूर्द्धन्य द्वारा, उ व ऊ का उच्चारण ओष्ठ्य द्वारा, ए व ऐ का उच्चारण कण्ठतालाव्य द्वारा एवं ओ व औ का उच्चारण कष्ठोष्ठ्य द्वारा किया जाता है।