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व्यंजन वर्ण

परिभाषा, प्रकार व उदाहरण एक नजर में !

जिन वर्ण का उच्चारण स्वरों की सहायता के साथ नहीं किया जा सकता है। उन वर्ण को व्यंजन वर्ण कहा जाता है। अर्थात व्यंजन वे ध्वनियाॅ होती है, जिनका उच्चारण स्वरों की सहायता के बिना नहीं किया जा सकता है।

व्यंजन को मुख्यतः 03 भागों में बाटा गया है :- 1. मूल व्यंजन  2. संयुक्त व्यंजन  3. उत्क्षिप्त व्यंजन 

व्यंजन के प्रकार :

1. मूल व्यंजन  : मूल व्यंजन की कुल संख्या 33 होती है। जिसमें 25 वर्गीय/स्पर्श , 04 अन्तःस्थ व्यंजन व 04 ऊष्म व्यंजन होते है। अर्थात हम यह कह सकते है कि मूल व्यंजन को भी 03 भागों में बाटां गया है।

1. वर्गीय/स्पर्श व्यंजन जिनकी संख्या कुल 25 होती है। 2. अन्तःस्थ व्यंजन जिनकी संख्या कुल 04 होती है। 3. ऊष्म व्यंजन जिनकी संख्या कुल 04 होती है।

संयुक्त व्यंजन हिन्दी भाषा में 04 प्रकार के होते है। जिनका निमार्ण दो व्यंजनों के योग से होता है। जो निम्नवत् है: 1. क्ष = क् + ष। 2. त्र = त् + र। 3. ज्ञ = ज् + ञ। 4. श्र = श् + र।

2. संयुक्त व्यंजन : 

3. उत्क्षिप्त व्यंजन  : उत्क्षिप्त व्यंजन की संख्या 02 यथा- ड़ व ढ़ है। जिनका विकास अपभ्रंश में हुआ है।

Little Big Moves

व्यंजन का उच्चारण :

Heart to Heart

व्यंजन का उच्चारण :

व्यंजनों के उच्चारण स्थान में भी विविधता है। जैसे क वर्ग कण्ठ द्वारा, च वर्ग तालु द्वारा, ट वर्ग मूद्र्धा द्वारा, त वर्ग दन्त द्वारा, प वर्ग ओष्ठ द्वारा, अन्तःस्थ व्यंजन में य तालव्य द्वारा, र मूर्द्धन्य द्वारा, ल दन्त्य द्वारा एवं व दन्तोष्ठ्य द्वारा एवं ऊष्म व्यंजनों यथा श तालव्य द्वारा, ष मूर्द्धन्य द्वारा, स दन्त्य द्वारा एवं ह कण्ठ्य द्वारा किया जाता है।