दिल्ली भारत की राजधानी है। जो हर किसी के लिए एक शानदार स्थानों में से एक है। भारत का दिल्ली भारतीय इतिहास का एक ऐतिहासिक स्थान [historicl places in hindi] हैं, जहाॅ इस शहर में कई राजवंशों , शासकों, बादशाहों ने अपना प्रभाव स्थापित या राज्य किये या फिर शासन किया है, और प्रत्येक राजवंश ने अपना छाप छोड़ हुए है।
List of Indian Historical Places in Hindi :
आज की दिल्ली के ऐतिहासिक (Histrocal Places) स्थानों के आप-पास या उन स्थानों में बहुत ही विविधता पायी जाती है। अगर आप नये है और आप को दिल्ली के ऐतिहासिक स्थानों (historical places in hindi) पर छुटियाॅ व्यतित करना चहते है तो, आप निचे दिये गये स्थानों व सूचनाओं के साथ दिल्ली के ऐतिहासिक स्थनों (historical places in hindi) पर जा सकते है।
भारत की राजधानी अर्थात नई दिल्ली के सर्वश्रेष्ठ 30 ऐतिहासिक (Histrocal Places in Hindi) स्थानों जहाॅ आपको अवश्य ही जाना चाहिए जो निम्नवत् है:
- लाल किला ।
- अग्रसेन की बावली ।
- बड़ा गुंबद ।
- भूली भटियारी का महल ।
- दिल्ली गेट ।
- फिरोज शाह कोटला का किला ।
- हुमायूँ का मकबरा ।
- इंडिया गेट ।
- ईसा खान का मकबरा ।
- जहज महल ।
- जहज महल ।
- जामा मस्जिद ।
- जंतर मंतर ।
- खूनी दरवाजा ।
- लोधी गार्डन ।
- मुमताज महल ।
- पुराना किला ।
- कुतुब मीनार ।
- राष्ट्रपति भवन ।
- निजामुद्दीन का दरगाह ।
(1.) लाल किला (Red Fort) :
लाल किला जो भारत का सबसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक (historical places) स्थानों में से एक है। जहाॅ प्रत्येक 15 अगस्त को भारत के प्रधानमंत्री जी भारत का झंडा फहराते व देश को संबोधन करते है।
जिसका निर्माण मुगल वंश के पाॅचवें शासक शाहजहाँ से सन् 1639 ई0 में करवाया था। जो पूरी तरह से बलुआ लाल पत्थर से बना हुआ है जो मुगल शासन की सर्वश्रेष्ठ कृतियों में एक मानी जाती है।
(2.) बड़ा गुंबद :
बड़ा गुंबद भारत देश के राजधानी नई दिल्ली के लोधी गार्डन में स्थित है। यह मध्ययुकालीन संरचना है। जो मुख्य रूप से एक मस्जिद है। जहाॅ प्रत्येक शुक्रवार को नामज अदा किया जाता है।
सन् 1490 ई0 में लोदी वंश के महान शासक सिंकदर लोदी ने करवाया था। इतिहासकारों का मनना है कि नई दिल्ली में निर्मित बड़ा गुंबद दिल्ली में बनने वाला प्रथम गुंबद जैसी इमारत है।
यहाॅ से ठिक बगल में एक प्रवेश द्वार दिखता है जो वास्तव में सिंकदर लोदी मकबरे का है। यहाॅ पर एक गुबंद में एक ऐसी संरचना है जाहाॅ कब्र दफनाएं जाने का स्थान लगता है। पर वास्तव में यहाॅ पर कोई भी कब्र स्थिति नहीं है।
(3.) भूली भटियारी का महल :
इसका निर्माण मध्यकालिन शासक फिरोज शाह तुगलक द्वारा 14वीं शताब्दी में कराया गया था। जो मुख्यतः एक शिकर लाॅज के रूप में किया गया था। इस स्थान को भारत के सबसे भूतिया महल में से एक माना जाता है।
भूली भटियारी में आपको पहले ही सचेत किये जाने हेतु एक नोट लगा रहता है कि वहाॅ पर सूर्यास्त के बाद उस स्थान पर कोई भी न जायें। मुख्यतः यह एक प्रकार का किला है, जिसका वास्तुकला एक मस्जिद के समान दिखाई पड़ता है।
इसके चारों ओर भूतों की बहूत ही कहानियों प्रचिलित होने के कारण यह स्थान अब ज्यादा तर वीरान ही होता है, जिसके कारण अब इसकी हालत काफी टूटी-फूटी या जरजर होती है।
(4.) दिल्ली गेट :
भारत की राजधानी में स्थिति दिल्ली गेट जो मुख्य रूप से पुरानी दिल्ली का सबसे दक्षिण में स्थिति एक द्वार है। जो वर्तमान में भारत के पुरानी दिल्ली व नई दिल्ली का जोड़ने वाले एक मुख्य भाग या द्वारा या रास्ता है।
पुरानी दिल्ली को शाहजहानाबाद के नाम से भी जाना जाता है। इसका निर्माण सन् 1638 ई0 में मुगल सम्राट शाहजहाॅ ने करवाया था। जिनका उद्देश्य उनके द्वारा स्थापित किया गया शहर शाहजहानाबाद को किलेबंदी के रूप में घोरावा किया जाना था।
प्रायः मुगल बादशाह इस गेट का प्रयोग प्रत्येक शुक्रवार को जामा मस्जिद में नमाज अदा करने के लिए करते थे। यह गंेट बलुआ पत्थर का बना हुआ है। जो कफी खूबसूरत दिखई देता है। वर्तमान समय में दिल्ली गेट भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की देख रेख में है।
इस गेट का पाता :
पता- दिल्ली गेट, नेताजी सुभाष मार्ग, दरियागंज, नई दिल्ली, दिल्ली,
निकटतम मेट्रो स्टेशन, दिल्ली गेट मेट्रो स्टेशन, पिन कोड- 110006,
(5.) दिल्ली रिज :
दिल्ली रिज जो उत्तरी अरावली तेंदुए वन्यजीव गलियारे में पहाड़ों की एक बहुत ही सून्दर श्रृंखला है। जिसे दिल्ली का फेफड़े के रूप में भी जाना या कहा जाता है। जिसके द्वारा दिल्ली शहर का बहुत ही आॅक्सीजन की प्राप्ति होती है।
यह पहाड़ी श्रंृखला लगभग 1500 करोड़ साल पुराना है। जिस पर विभिन्न प्रकार के जैव विविधता पायी जाती है।
(6.) फिरोज शाह कोटला का किला :
फिराजे शाह कोटला जिसे हम कोटला के नाम से भी जानते है। जिसका स्थापना राजा तुगलक वंश के शासक फिरोज शाह द्वारा अपनी शहर को मजबूत व सूरक्षित रखने हेतु निमार्ण कराया गया था। जो वर्तमान समय में एक खंडहर के रूप में विद्यायमान है।
कोटला किला में आज भी इसकी निमार्ण की छलक दिखाई देती है। जिसमें बुलआ पत्थर, टोपरा अशोकन स्तम्भ आदि है। जो अपने मूल रूप में तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में बनवायां गया है।
यहाॅ पर एक अशोक का एक स्तम्भ भी है जिसे फिरोज शाह तुगलक के आदेश पर हरियाणा के यमुनानगर जिले के पोंग घाटी के टोपरा से दिल्ली में ले आया गया था। किले में जामा मस्जिद, बावली कुंआं अन्य महत्वपूर्ण संरजनाएं है। जो इसकी भव्यता को चार चाॅद लगा देती है।
(7.) हुमायूँ का मकबरा :
दिल्ली में स्थिति यह स्थान भारत के द्वितीय मुगल बादशाह हुमायूँ द्वारा बनवाएं गया था। जो भारतीय उपमहाद्वीप पर बनवाएं गया प्रथम उद्यान मकबरा है।
उस समय तक भारत में लाल बलुआ पत्थर से निर्मित कोई भी स्थान या संरचना नहीं पाया गया है। यूनेस्को द्वारा इसे सन् 1993 ई0 में विश्व धरोहर के रूप में घोषित किया गया है।
यहाॅ पर बादशाह हुमायूँ के के अलावा में अन्य ऐतिहासिक शख्सियतों की कब्रं है। यह मकबरा अपने केहतरीन वास्तुकला एवं निर्माण के लिए काफी अधिक लोकप्रिय है। जो फारसी और भारतीय शौली का मिश्रण रूप है।
(8.) इंडिया गेट :
प्रथम विश्व युद्ध में बारे गऐ ब्रिटिश सैनिकों को समर्पित है। जो दिल्ली के राजपथ के पास स्थित है। यह एक स्मारक के रूप में भी जाना जाता है, जो वर्तमान समय में भारत का एक प्रतीक के बन चुका है।
जिसकी तुलना पेरिस में स्थिति आर्क डी ट्रायम्फ और रोम के आर्क आॅफ काॅनसटेटाइन से किया जाता है। सन् 1971 ई0 के युद्व के बाद यहाॅ पर एक जलती हुई एक लौ का निर्मण किया गया है, जो मुख्यतः अमर जवान ज्योति या अमर सैनिक की लौ के रूप में जाना जाता है।
(9.) ईसा खान का मकबरा :
राजा शेर शाह सूरी और उनके बेटे के सबसे प्रसिद्ध दरबारी के रूप में ईसा खान को जाना जाता है। इनके समय में इनका मकबरा आश्च्र्यजनक रूप से बनाया गया था, जो दूसरे मुगल बादशाह हुमाहूँ के मकबरे के पास ही स्थिति है।
इस मकबरे के निर्माण जालीदार स्क्रीन, टाइल व चमकता हुए छतरियों और अष्टकोणीय आभूषण जौसी है। जो मकबरे के चारों ओर से एक बरामदे से घेरे हुए है, जो लाल बलवा पत्थर के कारण यह बहुत ही सुन्दर दिखाई देती है।
(10.) जहज महल :
जहज महल का निर्माण लोदी वंश के शासकों द्वारा किया गया है। इसका नाम जहज महल इसलिए रखा गया क्योंकि यह अपने आप-पास स्थिति जलाशयों में इसका प्रतिबिंब या छाया जहाज जैसी दिखाई देने के कारण। तत्समय इस स्थान को सराय के रूप में प्रयोग किया जाता था।
वास्तुकला की दृष्टि से यह स्थान बहुत ही खूबसूरत है। इसमें पत्थरों से बनी छतरियां, स्थापत्य आभूषण और गुंबद आदि है।
(11.) दिल्ली जामा मस्जिद :
इसका निर्माण भारत के मुगल बादशाह शाहजहाॅ से सन् 1650 ई0 से लेकर सन् 1656 ई0 में करवायां था। जो एक मस्जिद है। यह मस्जिद पूरे भारत में सबसे भव्य और सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है। इसे मस्जिद-ए-जहान-नुमा के नाम से भी जाना जाता है।
इसमें तीन विशाल मुख्य द्वार और दो मीनारें स्थिति है। जिसका निर्माण बलुआ पत्थर और सफेद संगमरमर के पत्थरों से किया गया है। यह इतना भव्य है कि इसका मुख्य प्रार्थना कक्ष में लगभग 25000 लोग एक साथ आसानी से नमाज अदा कर सकते है।
(12.) जंतर मंतर दिल्ली :
जंतर मंतर वर्तमान समय में दिल्ली अपितु भारत देश के सबसे प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थानों में से एक है। यह एक ऐसी स्थान है जहाॅ पर वास्तुशिल्प खगोल विज्ञान उपकरण जैसी कुल 13 उपकरण उपलब्ध है।
इसका निमार्ण जयपुर के महराजा सवाई जय सिंह द्वितीय से सन् 1723 ई0 में कराया था। जिसका मुख्य उद्देश्य खगोलीय तालिकाओं को एक साथ संकलन, सूर्य और चन्द्रमा की गति का अध्ययन और भविष्यवाणी करना था।
दिल्ली की स्थिति जंतर मंतर सभी ऐतिहासिक स्मारकों मे सबसे प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्मारकों में से एक है।
(13.) खूनी दरवाजा :
इसका निर्माण शेर शाह सूरी के शासनकाल में हुआ था। जो वर्तमान समय में पुरानी दिल्ली में स्थिति है। जिसे लाल दरवाजा के नाम से भी जाना जाता है। दिल्ली में स्थिति इस ऐतिहासिक स्मारक का अपना एक दुखद इतिहास रहा है।
प्रायः इसका उपयोग राजाओं द्वारा अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों, शत्रु भाई, शत्रु को मारने के लिए प्रयोग किया जाता रहा है। इसी लिए इसे खूनी दरवाजा के नाम से भी जाना जाता है। इस स्थान की सबसे प्रसिद्ध हत्या औरंगजेब ने आपने भाई दारा शिकोह की थी।
(14.) लोधी गार्डन :
दिल्ली के सबसे पुराने और ऐतिहासिक स्थानों (historical places in hindi) में से एक है, जो अपनी हरियाली के लिए जाना जाता है। इसका निमार्ण लोदी राजवंश के शासकों द्वारा किया गया था। जिसमें विभिन्न प्रकार के फूलों, पौधों, पेड़ों है।
(15.) मुमताज महल :
दिल्ली में स्थिति मुमताल महल (historical places in hindi) जो यमुना नदी के सामने बना महलों में से एक है। जो लाल किले के परिसर में स्थिति है। इसका निर्माण निचले हिस्से में सफेद संगमरमर से बना हुआ है।
(16.) पुराना किला :
पुराना किला जैसा की नाम में ही इसका रहस्य छिपा हुआ है। यह भारत की ही नहीं अपितु दिल्ली का भी सबसे प्रचिन किलों में से एक है। जो दिल्ली मे घुमने के लिए सबसे प्राचिन स्थानों में से एक है।
इस स्थान का सम्बन्ध महाभारत से भी मानी जाती है। इस स्थान पर पाएं गये पुरातात्विक साक्ष्य से यह पता चलता है कि यह किला मौर्य काल से भी पहले का है। जिसमें बाद में कई निर्माण विभिन्न राजओं, महराजओं, शासकों या बादशाहों द्वारा किया जाता रहा है।
(17.) कुतुब मीनार :
यह अपने समय की भारत की सबसे बड़ी मीनार थी। जो वर्तमान में दिल्ली की सबसे अधिक आकर्षणा के केन्द्र बिन्दु में से एक है।
इसका निर्माण गुलाम वंश के संस्थापक कुतुबउद्दीन ऐबक द्वारा सन् 1192 ई0 में प्रारम्भ कराया गया था, लेकिन इसका निमार्ण इलतुतमीश द्वारा पूरा किया गया था। जो दिल्ली सल्तनत की प्रारम्भ के रूप में जाना जाता है।
यह अपने समय का दुनिया का सबसे ऊंची इमारत में एक थी जिसमें भारत व इस्लामी वास्तुकला का अदभुत मिश्रण पाया जाता है, और यह भारत की सायद सबसे पहली ज्ञात ऐसी इमारत है जिसमें यह वास्तुशिल्प मिश्रण पाया जाता है।(historical places in hindi)
(18.) अग्रसेन की बावली :
अग्रसेन की बावली भारत के राजनाधी नई दिल्ली में स्थिति ऐतिहासिक स्थानों में से एक है। जिसे बावली को राजा अग्रसेन द्वारा बनवायां माना जाता है। जो महभारत काल से सम्बन्धित थे। जिसे बाद में तुगलक वंश के द्वारा फिर से बनवायं गया है। बाओली शब्द का अर्थ एक जल मंदिर या बावड़ी है।
अगर जब भी कोई इसे संरचनात्मक रूप में देखे जाने का मुख्य कारण इस लिए है कि नई दिल्ली में ऐसी कई भी अन्य संरचना या ऐतिहासिक भवन (historical places in hindi) मिलता जुलता नहीं है। इसका मुख्य आकर्षण का केन्द्र बिन्दु इसमें स्थिति 108 सीढ़ियाॅ हैं।
वर्तमान में अग्रसेन की बावली भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा संरक्षित स्मारक के तहत संरक्षित किया गया है। यह ऐतिहासिक भवन नई दिल्ली में एक भूतिया स्थान के तैर पर भी प्रसिद्ध है।
पता- हैली रोड, केजी मार्ग, दीवानचंद इमेजिंग सेंटर के पास, नई दिल्ली,
पिन कोड- 110001
निकटतम् मेट्रो स्टेशन, बाराखंभा मेट्रो स्टेशन, नई दिल्ली।
खुलने का समय- प्रातः 09ः00 बजे से शाम 05ः00 बजे तक।
प्रवेश शुल्क – लागू नहीं।
(19.) राष्ट्रपति भवन :
भारत के राष्ट्रपति भवन भारत के राष्ट्रपति का एक अधिकारिक निवास स्थान है। जो 320 एकड़ में फैला हुआ है। इसकी कुल 340 कमरे, मुगलकालिन उद्यान व वहाॅ रह रहे कार्मचारियों का आवास यहाॅ तक अस्तबल के साथ एक हवेली भी है जो लोगों का मुख्य आकार्षण का केन्द्र बिन्दु में से एक है।
भारत के राष्ट्रपति भवन विश्व के सबसे बड़ा भवन या निवास में से एक ऐतिहासिक स्थानों (Histrocal Places in Hindi) में से माना जाता है। जिसका निर्माण तत्कालिन ब्रिटिश सरकार के वास्तुकार सर एडविन लुटियंस ने वाइसराय के रहने के लिए बनावायां था। इसकी भव्यता दुनिया और भारत देश की वास्तुकरों को प्रेरित करती है।
(20.) निजामुद्दीन :
निजामुद्दीन का दरगाह दिल्ली शहर के सबसे लोकप्रिय व्यस्त और भीड़-भाड़ वाले स्थान पर है, जिसके चारों और बारारों व दुकानो से घिरा हुआ है। इस स्थान पर मुगल बादशाह हुमायूं के मकबरा और अब्दुल रहीम खान खाॅन जैसे ऐतिहासिक रत्न से सम्बनिधत है।
यह मुख्य रूप से निजामुद्दीन दरगाह सूफी दरगाह व्यथित, थका हारे मन को ठीक करने के लिए एक भक्ति सूफी गीतों कां मंथन या विचरण करता है। जो भारत के भव्यता, ऐश्वर्य, संस्कृत आदि का प्रतिक है। इसकी भव्यता दुनिया और भारत देश की वास्तुकरों को प्रेरित करती है।
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