Indian History in Hindi | 10 Interesting Facts And Amazing Facts About Indian History.

भारत का इतिहास (Indian History in Hindi) विश्व के सबसे प्राचिन इतिहासों में एक है। भारत का इतिहास का प्रारम्भ धर्मग्रंथों, वेदों व सिन्धु सम्यता से लेकर आज तक है। Indina History in Hindi.

हमरा यह लेख मुख्यतः भारत के इतिहास का मुख्य-मुख्य बिन्दुओं पर केन्द्रित रहेगा। जिसका उद्देश्य मुख्यतः लोगों को Indian History in Hindi me जनकारी व भारतीय इतिहास के महत्व को बताना है।

इतिहास ( Indian History in Hindi) की परिभाषा :

इतिहास ( Indian History in Hindi.) की परिभाषा विभिन्न इतिहासकारों द्वारा भिन्न-भिन्न प्रकार के मत है। लेकिन इतिहास इस समय या काल को कहते है।

मानव विकास के उस काल या समय को इतिहास कहा जाता है, जिसका विवरण लिखित रूप से उपलब्ध हैं।

भारत का इतिहास हिन्दी में (Indian History in Hindi) :

भारत देश उत्तर के हिमालय से लेकर दक्षिण में समुद्र तक फैला स्थान को भारत देश के नाम से जाना जाता है। भारत एक महान देश है। यहाॅ की सभ्यता एवं संस्कृति उतनी ही पुरानी है, जितना कि मानव उत्पति है।

भारत क्षेत्रफल के दृष्टि से विश्व का 7वां सबसे बड़ा देश है। इसी कारण भारत को उपमहाद्वीप की संज्ञा दिया गया है।

भारत देश का प्राचिन नाम आर्यावर्त था। भारत देश का नाम राजा भरत के नाम पर इसका नाम पड़ा है। वैदिक आर्य के निवासियों जिनका निवास सिंधु घाटी में था।

पार्शिया या ईरान के लोग ने सबसे पहले सिंधु घाटी से भारत में प्रवेश किया जो ‘स‘ का उच्चारण ‘ह‘ की तहत करते थे इसी कारण इसका नाम हिन्दुस्तान पड़ा।

बौद्ध ग्रंथों में भारत हेतु जम्बूदीप शब्द का प्रयोग किया गया है। भारत हेतु इंडिया शब्द की उत्पति ग्रीक भाषा के इण्डोस से हुआ है।

इतिहासकारों ने भारत (Indian History in Hindi) देश के अध्ययन हेतु भारत के इतिहास को 03 भागों में विभाजित किया गया है। जो निम्नवत् है:-

  1. प्राचीन भारत का इतिहास।
  2. मध्यकालीन भारत का इतिहास।
  3. आधुनिक भारत का इतिहास।

(1.) प्राचीन भारत का इतिहास।

प्रचिन भारत का इतिहास को जानने का मुख्य आधार यथा धर्मग्रंथ, ऐतिहासिक ग्रंथ, विदेशियों का विवरण या पुरातत्व सम्बन्ध साक्ष्य ही होता है।

प्रचिन भारत में मुख्यतः वेद, सिन्धु सभ्यता, वैदिक सभ्यता, बैद्ध धर्म, जैन धर्म, मौर्य वंश, शुंग वंश, शक वंश, कुषाण, गुप्त साम्राज्य व पुष्यभूति वंश या वर्द्धन वंश तद्पश्चात दक्षिण भारत के प्रमुख राजवंश जैसे- पल्लव वंश, राष्ट्रकूट, चालुक्य वंश, चोल वंश, आदि प्रमुख है।

जिस काल में मनुष्यों ने घटनाओं का कोई लिखित विवरण प्राप्त नहीं होता है। उस काल को प्रागैतिहासिक काल, जिस काल में मनुष्यों ने घटनाओं का तो लिखित प्रमाण तो उपलब्ध होता है, लेकिन उस पढ़े नहीं जा सके है। उस काल के इतिहास को आद्य ऐतिहासिक काल कहा जाता है।

प्राचिन इतिहास के श्रोत एवं प्रमुख राजवंश :

भारत के प्रचिन इतिहास का श्रोत एवं प्रमुख राजवंश की सूची निम्नवत् है।

1. सिन्धु घाटी सभ्यता :

सिन्धु घाटी सभ्यता का पता न चलने से पहले भारतीय इतिहास का प्रारम्भ वौदिक ग्रन्थों के आधार पर माना जाता था किन्तु सन् 1921 ई0 में जब रावी नदी के पास हड़प्पा में सर दयाराम साहनी द्वारा सर्वप्रथम किया गया था।

रेडियोकार्बन जैसी नवीन विश्लेषण पद्धति के आधार पर सिन्धु सभ्यता की सर्वमान्य तिथि 2400 ईसा पूर्व से 1700 ई0पूर्व तक मानी जाती है।

सिन्धु घाटी सभ्यता को प्राक्ऐतिहासिक अथवा कांस्य युग की सभ्यता के रूप में माना जाता है। इस सभ्यता के मुख्य निवासी द्रविड़ एवं भूमध्य सागरीय थे। जो एक नगरीय सभ्यता थी।

सैंधव सभ्यता से प्राप्त परिपक्व अवस्था वाले स्थलों में केवल 6 को ही बड़े नगर की संज्ञा दी जाती है। जैसे- मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, गणवारीवाला, धौलावीरा, राखीगढ़ी एवं कालीबंगन है।

सिन्धु काल के लोगों का रहन-सहन काफी आधुनिक था। इस काल के लोग मुख्य रूप से भारत के बाहर से वस्तुएं का निर्यात करते थे।

जैसे- ताॅबा को खेतड़ी, बलूचिस्तान व ओमान से, चाॅदी को अफगानिस्तान व ईरान से, सोना का कर्नाटक, अफगानिस्तान व ईरान से, टिन का अफगानिस्तान व ईरान से, गोमेद का सौराष्ट्र से, सीसा का ईरान से करने के साक्ष्य प्राप्त हुए है।

सिन्धु सभ्यता के लोगों द्वारा धरती की पूजा उर्वरता की देवी की तरह किया जाता था। जिसमें से कुबड़ वाला साॅड़ इस सभ्यता के लोगों के लिए विशेष पूजनीय था, जबकि पर्दा-प्रथा एवं वेश्यावृति सैंधव सभ्यता में भी प्रचलित था।

2. वैदिक सभ्यता :

वैदिक काल का विभाजन मुख्य रूप से दो भागों में किया गया है। ऋग्वैदिक काल जो 1500 बी0सी0 से लेकर 1000 बी0सी0 तक एवं उत्तर वैदिक काल जो 1000 बी0सी से लेकर 600 बी0सी0 तक के समय को कहा जाता है।

मुख्य रूप से आर्य मध्य एशिया के निवासी थे। जो भारत में सर्वप्रथम पंजाव एवं अफगानिस्तान के रास्ते आएं थे। आर्याें द्वारा निर्मित सभ्यता को वैदिक सभ्यता कहा जाता है।

3. जैन धर्म :

जैनधर्म का संस्थापक जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव थे। जैन धर्म में कुल 24 तीर्थंकर हुए थे। जिसमें महावीर स्वामी जैन धर्म के अतिंम 24 वें तिर्थंकर थे। जिनका जन्म 540 ईसा पूर्व कुण्डलग्राम वर्तमान वैशाली में हुआ था।

इनके पिता का नाम सिद्धार्थ जो ज्ञातृक कुल के सरदार थे। इनकी माता का नाम त्रिशला जो लिच्छवि राजा चेटक की बहन थी।

महावीर स्वामी का विवाह यशोदा नामक कन्या से हुआ था। इनके पुत्री का नाम अनोज्जा प्रियादर्शनी था। इनके बचपन का नाम वर्द्धमान था। महाविर स्वामी 30 वर्ष की आयु में अपने माता-पिता की मृत्यु के बाद अपने बड़े भाई नंदिवर्धन से अनुमति लेकर संन्यास जीवन को स्वीकार कर लिया था।

स्वामी जी को 12 वर्ष की कठीन तपस्या के उपरान्त महावीर को जृम्भिक के समीप ऋजुपालिका नदी के तट पर साल वृक्ष के नीजे सम्पूर्ण ज्ञान का बोध हुआ था। इस समय से महावीर को जिन, अर्हत, विजेता, पूज्य, निग्र्रन्थ, आदि नामों से जाना गया।

महावीर ने अपना उपदेश प्राकृत भाषा में दिया था। इनके अनुयायियों को निग्रंथ के नाम से जाना गया। इनके दमाद का नाम जामिल था। इनकी मृत्यु 72 वर्ष की आयु में 468 ईसा पूर्व में बिहार राज्य के पावापुरी में हो गया।

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Ram Pal Singh

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