Know about 05 Important fact about Classification of Indian History | भारतीय इतिहास का वर्गीकरण

भारतीय इतिहास का वर्गीकरण (Classification of Indian History) , जौसा की आप जनते है कि भारत का इतिहास विश्व के सबसे प्राचिनतम् इतिहास में से एक है। हम इस लेख के माध्यम से यह जानने का प्रयास करेंगें कि भारत के इतिहास को कितने तरह से वर्गीकरण किया गया है।

भारतीय इतिहास का वर्गीकरण (Classification of Indian History) :

भारतीय इतिहास का वर्गिकरण मुख्यतः तीन भागों में किया गया है। जो निम्नवत् है:-

  1. पुरापाषाण काल।
  2. मध्यपाषाण काल।
  3. नवपाषाण काल।

(A) पुरापाषाण काल या पेलिअलिथिक युग :

भारत देश में पुरापाषाण युग का प्रारम्भ या विकास प्लाइस्टोसीन काल या हिम युग से माना जाता है। इस युग को आखेटक और खाद्य संग्राहक भी कहा जाता है।
मानव का आरम्भ इसी युग से माना जाता है और इसी समय ही असली गाय, हाथी, घोड़ा आदि जनवार भी उत्पन्न हुएं।

इस समय के लोग या मानव जिन्हें आदिम मानव कहा जाता था, वें मुख्यतः पत्थर के अगगढ़ और अपरिष्कृत औजारों का प्रयोग करते थे। जो भारत के सिंधु, गंगा, और यमुना के कछारीं मैदानों को छोड़कर पूरे देश में पाया जाता है।

पुरापाषाण काल के औजार भारत के महराष्ट्र के बोरों में आदिम मानव के अवशेष, छोटा नागपुर के पाठार, आंध्र प्रदेश के कुर्नूल शहर में एवं उत्तर प्रदेश के मिर्जापूर जिले के बेलन घाटी में पाये गये है।

Classification of Indian History
Classification of Indian History

इस युग के लोग मुख्य रूप से शिकार और खाद्य संग्रह के आधार पर जीते थें। इनकी औजार यथा हस्त कुठार, विदारणी और खंडक है। पुरापाषाण काल को भी तीन भागों में बाटां गाया है। जो निम्नवत् है:-

  1. आरंभिक व निम्न पुरापाषाण काल।
  2. मध्य पुरापाषाण काल।
  3. उपरी पुरापाषाण काल।

(i). आरंभिक व निम्न पुरापाषाण काल :

आरंभिक या निम्न पुरापाषाण काल का समय 5,00,00 बी0सी0 से लेकर 50,000 बी0सी0 तक है। इस युग में पूरी बर्फ से ढ़का होने के कारण इस युग को हिम युग के नाम से भी जाना जाता है। इस युग में मानव मुख्यतः कुल्हाड़ी या हस्त-कुठार, विदारणी, खंडक आदी औजारो का प्रयोग करते थे।

इसका साक्ष्य भारत में कश्मीर, थार मरूभूमि, मध्य प्रदेश के भौपल के भीमबेटका की गुफाओं व बेलन और नर्मदा की घाटी उत्तर प्रदेश में उपलब्ध है। जबकि पाकिस्तान के पड़ी पंजाब की सोअन या सोहन नदी की घाटी में पाया जाता है।

(ii). आरंभिक व निम्न पुरापाषाण काल :

मध्य पुरापाषाण काल युग का समय 50,000 बी0सी0 से लेकर 40,000 बी0सी0 तक था। इस युग के मानवों द्वारा मुख्यतः पत्थर की पपड़ी से बनी औजारों के प्रयोग के साथ-साथ फलक, वेधनी, छेदनी व खुरचनी जौसे औजारों का प्रयेाग किया जाता था।

(iii). उपरी पुरापाषाण काल :

इस युग या काल का समय 40,000 बी0सी0 से लेकर 10,000 बी0सी0 के समय को उपरी-पुरापाषाण काल कहा जाता है। इस युग में मानव के आधुनिक प्रारूप के मानव होमोसेपिएंस का उपद प्रारम्भ हुआ था।

इस युग में सर्वप्रथम चकमक उद्योग की स्थापना हुआ था। जो भारत देश के फलकों और तक्षणियों का प्रयोग किया जाता है। इस युग के लोग खाद्य प्रदार्थो का भंडार भी करते थे, जिसका साक्ष्य भारत के भीम बेटका, भौपल मध्य प्रदेश, टिब्बो गुजरात में पाया गया है।

उपरी पुरापाषण काल में मानव के आधुनिक प्रारूप के मानव होमोसेपिएंस का उपद प्रारम्भ हुआ था।

(B) पुरापाषाण काल या पेलिअलिथिक युग :

मध्य पाषण या मिसोलिथिक युग के मानव पुरापाषण काल के युग से मानव काफी अधिक विकास कर चुके थे। जो मुख्यतः आखेटक व पशुपालक के रूप में अपना जिवनयापन करने थे।

इस युग के लोगों का मुख्य कार्या शिकार करना, मछली पकड़ना, खाद्य वस्तुए बटोर या पशुपालन पर निर्भर होते थे। जिनका औजार सुक्ष्म या पत्थर के होते थे। मध्य पाषण या मिसोलिथिक युग का प्राचीनतम साक्ष्य भारत देश के मध्य प्रदेश, राजस्थान में पशुपालन का साक्ष्य पाया गया है।

(C) पुरापाषाण काल या पेलिअलिथिक युग :

नवपाषाण या नियोलिथिक युग के मानव मुख्यतः खाद्य उत्पादक हो चुके थे। अर्थात ये अपने जिवन हेतु खाद्य का उत्पादन करते थे।

जिसका साक्ष्य पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रात के मेहरगढ़, विन्ध्रया पर्वत के उत्तरी पृष्ठों व दक्षिण भारत में पया जाता है। इस समय के औजार पालिशदार पत्थर के हो चुके थे। जिनका मुख्य औजार यथा कुल्हाड़ी था।

नमस्कार दोस्तों हमारा यह ब्लाॅग मुख्य रूप से भारतीय इतिहास के वर्गकरण से सम्बन्धित तथ्यों को बनाने में बहुत ही अधिक Hard Word किया गया है। यदि यह लेख पसन्द आयें तो Lick and Share करना न भुलीयेगा। धन्यवाद!

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Ram Pal Singh

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