नीम करोली बाबा (Baba Neem Karoli ) जो एक हिन्दु गुरू, हिन्दु देवता हनुमान के परम भक्त, एक आध्यात्मिक गुरू व 20 वीं सदी के महान संत के रूप में जाने जाते है।
जिनके दरबार में भारत के साथ-साथ विश्व के महान लोगों जैसे एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब, फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग, वर्तमान में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के साथ अनके भक्त के साथ-साथ मैं भी सम्मलित है।
नीम करोली बाबा (Baba Neem Karoli ) का जीवन परिचय :
नीम करोली बाबा (Baba Neem Karoli ) का नाम लक्ष्मण नारायण शर्मा है। उनका जन्म भारत के उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गांव के एक धनी ब्रहाम्ण परिवार में सन् 1900 के आप पास हुआ था।
उनके पिता जी का नाम श्री दुर्गा प्रसाद शर्मा व माता जी का नाम कौशल्या देवी शर्मा है। बाबा की प्रारम्भिक शिक्षा अकबरपुर गांव में हुई है। बाद में वे आध्यात्म की तरफ मुड़ गए।
नीम करोली बाबा (Baba Neem Karoli ) का विवाह मात्र 11 वर्ष की आयु में उनके माता-पिता द्वारा राम बैटी नामक कन्या से किया गया था। उनका मन संसारिक सूख में न लगने के कारण व साधु बनने के लिए अपना घर-बार छोड़ दिया।
बाद में पुनः पिता जी के अनुराधे पर अपना विवाहिक जीवन जीन हेतु घर लौट आएं। इनके दो बेटे और एक बेटी को है।
बाबा नीम करोली के ज्येष्ठ पुत्र का नाम अनेक सिंह जो वर्तमान में अपने परिवार सहित भोपाल में रहते है। जबकि कनिष्ठ पुत्र का नाम धर्म नारायण शर्म है।
जो एक वन विभाग में रेंजर के पद पर तैनात थे, सेवानिवृत्त होने के बाद 35 वर्षों से वृंदावन आश्रम में ही निवास करते थे। जबकि बाबा नीम करौली (Baba Neem Karoli ) महराज की पुत्री का नाम गिरजा देवी है जो वर्तमान समय में आगरा में निवास करती है।
नीम करोली बाबा (Baba Neem Karoli ) की कहानी :
आप यह जानते है कि बाबा नीम करोली (Baba Neem Karoli ) का नाम लक्ष्मण दास जी है। बाबा नीम करोली (Baba Neem Karoli ) ने अपना घर सन् 1958 ई0 में छोड़ दिया था। कहा जाता है कि बाबा ने मात्र 17 वर्ष की आयु में ही ईश्वर के दर्शन प्राप्त हो चुके थे।
हनुमान जी को वे अपना गुरू और आराध्य के रूप में मानते थे, बाबा ने अपने जीवन में 108 हनुमान मंदिर के रूप में बनवाएं थे। ऐसी मान्यता है कि बाबा को हनुमान जी से अनेकों उपासना व चमात्कारिक सिद्धियां प्राप्त थीं।
बाबा की कहानी बताते है कि एक बार बाबा बिना टिकट के एक ट्रेन पर चढ़ गये थे और टिकट चेक करने वाला कंडक्टर ने बाबा को ट्रेन को रोक कर बाबा को जबरदस्ती ट्रेन से उतार दिया।
जिसके बादा ट्रेन चलने के लिए जब स्टॉट किया जाने लगा तो ट्रेन स्टॉट ही नहीं हुआ। ट्रेन को शुरू करने का बहुत अधिक प्रयास किया करने के उपरान्त भी जब ट्रेन शुरू नहीं हुआ तब ट्रेन में बैठे लोगों ने कंडक्टर को सुझाव दिया कि बाबा नीम कारोली को आप वापस ट्रेन में बैठा लें।
उसके बाद भी रेलवे के कर्मचारियों में बाबा से अनुरोध किया कि आप कृपया कर ट्रेन में बैठ जाएं। बहुत आग्रह करने के उपरान्त बाबा ने दो शर्तों के साथ ट्रेन में बैठने की बात मान ली
- रेलवे कंपनी को एक स्टेशन नीम करोली गांव में बनाने का वादा।
- रेलवे कंपनी कभी भी किसी साधुओं के साथ गलत व्यवहार नहीं करेगा।
उपरोक्त दोनों शर्तों को जब रेलवे कर्मचारी द्वारा मान्य कर लिया गया तब जा कर बाबा टेªन में चढ़े उसके बाद ट्रेन प्रारम्भ हो गयी लेकिन ट्रेन अभी भी चल नहीं रही थी जब तक कि बाबा ने ट्रेन को आगे बढ़ने का आशीर्वाद नहीं दिया।
उसके बादा बाबा कुछ समय तक नीम करोली गांव में ही निवास किये और वहॉ के स्थानीय निवासियों ने ही उनका नाम बाबा नीम करोली रखा।
वहॉ से आने के उपरान्त बाबा लगभग पूरे उत्तर भारत का भमण किये इस दौरान उन्हें कई नामों से जाना गया जौसे लक्ष्मण दास, हांडी वाला बाबा, तिकोनिया वाला बाबा, तलैया बाबा, चमत्कारी बाबा के नाम से सम्बोधित किया गया।
बाबा नीम करोली (Baba Neem Karoli ) की स्वार्गवास 11 सितम्बर, 1973 ई0 को सुबह लगभग 1ः15 बजे उत्तर प्रदेश के वृंदावन के एक अस्पताल में हुआ था। जिनकी समाधि स्थल वृंदावन में स्थिति है।
नीम करोली बाबा की कहानी (Story of Baba Neem Karoli ):
बाबा नीम करौली (Baba Neem Karoli ) जो हनुमान जी एक सच्चे उपासक थे जिनके पास हनुमान जी से प्राप्त अनेक सिद्धियां हुयी थी। साथ यह भी कहा जाता है कि बाबा नीम करोली (Baba Neem Karoli ) जी हनुमान जी के अवतार है।
जिनके महिमा का गुणगान भारत के प्रधानमंत्री जी के साथ-साथ स्टॉव जाब व मर्का जुकरबर्ग जी भी करने से नहीं थेकत है।
बाबा के दर्शन हेतु देश विदेश से अनेकों भक्तगण आते रहते हैं बाबा नीम करोली कभी भी अपने भक्तों को अपना पैर नहीं छूने देते थे। वे कहते थे अगर आप पैर छूना चाहते है तो आप भगवान हनुमान के पैर छवें।
बाबा नीम करोली (Baba Neem Karoli ) भले ही आज दुनिया में न हो लेकिन आज भी वह अपने भक्तों को मनोकामना पूर्ण करते है और उनके द्वारा सन् 1964 ई0 में स्थापित कैंची धान में हर साल लाखों भक्तों-श्रद्धालुओं बाबा के दर्शन करने आत रहते है।
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नीम करोली बाबा (Baba Neem Karoli ) के आराध्य है हनुमान जी :
बाबा नीम करोली (Baba Neem Karoli ) भगवान हुनमान के अराध्य थे। कहा जाता है कि जब बाबा मात्र 17 वर्ष की आयु के थे तक भगवान हुनमान जी के दर्शन प्राप्त हो चुके थे। नीम करोली बाबा ने अपने जीवनकाल में करीब 108 हुनमान मंदिरों का निर्माण कराएं।
बाबा आडंबर से रहते थे दूर नीम करोली बाबा (Baba Neem Karoli ) :
बाबा के लाखों भक्त है। जो हमेशा से एक सादा जीवन जीना पसन्द करते थे और वह हमेशा ही आडंबर से दूर रहे है, यहां तक कि बाबा कभी भी अपने भक्तों से अपना पैर नहीं छुलवाते थे, जब भी कोई भक्त बाबा के पैर छने की कौशिस करता था तब बाबा कहते थे कि आप मेरी जगह हनुमान जी की पैर छुओ…….. वही कल्याण करेंगे।
एप्पल की संस्थापक स्टीव जॉब्स भी जा चुके है कैंची धाम :
सन् 1973 ई0 में एप्पल के संस्थापक व सी0ई0ओ0 स्टीव जॉब्स जब भारत के यात्रा पर आए थे। कहते है कि उस समय स्टीव जॉब्स सन्यास लेने का मन बना चुके थे।
जब वह कैंची धाम पहुंचतें है तब तक बाबा का देहांत हो चुका था। उसके बाद स्टीव जॉब्स कुछ दिन तक आश्रम में रूके रहे और ध्यान-योग करते रहें।
बाबा नीम करोली ने कैसे रैकी ट्रेन की कहानी, चमत्कार व लीला :
जिसके बादा ट्रेन चलने के लिए जब स्टॉट किया जाने लगा तो ट्रेन स्टॉट ही नहीं हुआ। ट्रेन को शुरू करने का बहुत अधिक प्रयास किया करने के उपरान्त भी जब ट्रेन शुरू नहीं हुआ
तब ट्रेन में बैठे लोगों ने कंडक्टर को सुझाव दिया कि बाबा नीम कारोली को आप वापस ट्रेन में बैठा लें।
उसके बाद भी रेलवे के कर्मचारियों में बाबा से अनुरोध किया कि आप कृपया कर ट्रेन में बैठ जाएं। बहुत आग्रह करने के उपरान्त बाबा ने दो शर्तों के साथ ट्रेन में बैठने की बात मान ली,
1. रेलवे कंपनी को एक स्टेशन नीम करोली गांव में बनाने का वादा।
2. रेलवे कंपनी कभी भी किसी साधुओं के साथ गलत व्यवहार नहीं करेगा।
उपरोक्त दोनों शर्तों को जब रेलवे कर्मचारी द्वारा मान्य कर लिया गया तब जा कर बाबा टेªन में चढ़े उसके बाद ट्रेन प्रारम्भ हो गयी लेकिन ट्रेन अभी भी चल नहीं रही थी जबतक कि बाबा ने ट्रेन को आगे बढ़ने का आशीर्वाद नहीं दिया।
बाबा के अपने शरीर पर अनेकों शर्प को लोटना :
ट्रेन की घटना के बाद जब बाबा नीम करोली (Baba Neem Karoli ) गॉव पहुॅचे तक वहॉ के ग्रामीणों के आग्रह पर बाबा वही गॉव में रूक गये।
बाबा के आदेश पर गावं के लोगों द्वारा उनके पूजा पाठ, तपस्या के लिए एक गुफा बनवाया गया और बाबा द्वारा ऐसा कहा गया था कि जब वह तपस्या करें तब कोई भी गुफा के अन्दर न आयें।
लेकिन एक बार जब बाबा गुफा के अन्दर तपस्या कर रहें थे तब एक गांव का भक्त बाबा से मिलने के लिए गुफा के अन्दर चला जाता है।
जब वह बाबा को देखाता है कि बाबा तपस्या करते समय उनके पूरे शरीर पर कई सांप लपेट रखे है। यह सब भक्त देखते ही मूछित होकर गिर जाता है।
जब बाबा की तपस्या पूरा होता है तब बाबा उससे कहते है कि मना किया था न फिर क्यों आया उसके बाद बाबा उसके सर पे हाथ फेरते हैं वो भक्त फिर से सही हो जाता है।
कुंआ का पानी खारा से मीठा हो गया :
बाबा के नीम करौली मंदिर में एक कुऑ है जिसको उनके एक भक्त राम सेवक जी ने बनवाया था। कहानी कुछ इस प्रकार है रामसेवक को कोई संतान नहीं था।
एक बार बाबा ने एक सेवक को एक फल देकर बोले कि जा कर अपनी पत्नी को इसे खिला देना तुम्हें एक पुत्र की प्राप्ति हो जायेगी।
उसके कुछ समय बाद जब सेवक को एक पुत्र की प्राप्ति हुई तब वह बाबा के पास गया और कहा बाबा मैं यहॉ पर एक कुऑ बनवाना चाहता हुॅ, जिससे लोगों की मदद हो सकें।
लेकिन जब कुऑ बन गया तब इसका पानी खारा निकलता हैं इस पर सेवक बाबा के पास जाता है और वह कहता है कि बाबा कुऑ का पानी तो खारा निकल गया, और वह क्षमा मंगते हुए कहता है कि बाबा हमें क्षमा कर दिजिऐगा।
कुऑ का पानी तो खारा निकल गया, तब महराज जी कहते है कि इस कुऑ में चीनी की बोरियां डलवा दो, जिसके बाद कुऑ का पानी अमृत की तहर मीठा हो जायेगा।
नीम करोली बाबा के विचार :
एक बार बाबा ने एक भारतीय लड़की से चार बार पूछा – ‘‘ तुम्हें आन्नद पसन्द है या दःख? ‘‘ हर बार लड़की ने जवाब दिया कि मैंने कभी आन्नद महसूस ही नहीं किया, महाराज जी, बस दुःख ही महसूस किया है।
इस पर महाराज जी ने बोला – ‘‘मुझे दुःख पसन्द है। यह मुझे भगवान के पास ले जाता है।‘‘
नीम करोली बाबा के उपदेश या शब्द :
बाबा नीम करोली के उपदेश है :-
- मुझे दुःख पसन्द है क्योंकि यह मुझे भगवान के पास ले जाते है।
- भारत में, योग लोगों की रगों में बहता है।
- अगर आप अपनी मौत के समय एक आम की इच्छा करेंगे, तो आप एक कीड़े के रूप में जन्म लेंगे। अगर आप अगली सांस की इच्छा रखेंगे, तो आप दुबारा जन्म लेंगे।
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